पुस्तक - मामुलिया, अंक-५, सन् १९७९ - कृष्‍ण कुमार त्रिपाठी

वर्तमान देवरी नगर सागर जनपद में रहली तहसील के अन्‍तर्गत 23005′ अंश उत्‍तरी अक्षांश तथा 78040′ ‘पूर्वी देशांतर पर सागर से लगभग 64 किलोमीटर दूर नरसिंहपुर राजमार्ग पर सुखचैन नदी के तट पर स्थित है। इससे पूर्व इस नगर का नाम ‘रामगढ़’ अथवा उजरगढ़ होने का उल्‍लेख है। ई. 9वीं-10वीं शती में चंदेल शासकों द्वारा यहॉं शिव-मंदिरों तथा हिन्‍दू देवी-देवताओं की बहुसंख्‍यक प्रतिमाओं का निर्माण कराया गया, जिसके फलस्‍वरूप इस नगर का देवरी (देव स्‍थान अथवा देवपुनी) रखा गया प्रतीत हेाता है। इस नगर की स्‍थापना चंदेल शासकों ने अपने राजत्‍व काल में की, जिसकी पुष्टि यहॉं के विविध शिल्‍पावशेषों तथा कलाकृतियों से की जा सकती है। प्राचीन भारत देवालयों तथा पाषाण प्रतिमाओं के अतिरिक्‍त कलात्‍मक शिल्‍पावशेषों का यहॉं बाहुल्‍य है। देवरी नगर तथा उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में विविध धर्मों  से संबंधित पुरातत्‍वीय महत्‍व की शिल्‍प सम्‍पद के अवलोकन के यह ज्ञात होता है कि मध्‍यकालीन युग में विवेच्‍य क्षेत्र कला के प्रमुख केन्‍द्र रूप में विख्‍यात था।

देवरी की प्राचीन मूर्ति कला