
पठारी
July 25, 2024
ग्यारसपुर
July 25, 2024पठारी ग्राम में पहाड़ी के दक्षिण पूर्व में बड़ोह ग्राम के निकट गडरमल नामक एक विशाल मन्दिर विद्यमान है। एक चहारदीवारी में मुख्य मंदिर के पास सात लघु मंदिर हैं। मुख्य मंदिर के सिर दल पर चतुर्मुखी भव्य यक्षी मूर्ति है, उसकी एक भुजा खण्डित है, शेष तीन बाहुओं में ढाल, तलवार और धनुष हैं। इस देवी मूर्ति का वाहन उसके पास ही स्थित है। अनुमान है कि यह अष्टम जैन तीर्थकर चन्द्रप्रभु की शासन सेविका ज्वालामालिनी है। मंदिर में तीन टुकड़ों में खण्डित एक सुन्दर मूर्ति, तीर्थंकर माता और बालक तीर्थंकर की है, कुछ विद्वान इसे माया देवी और बुद्ध की मूर्ति बतलाते हैं। परन्तु यह नहीं भूलना चाहिये कि मूलतः यह जैन मंदिर है। यहाँ का शिल्प कार्य अनुमानतः 8वीं- १वीं शताब्दी में सृजित किया गया। मंदिर के द्वार और स्तम्भों पर जैन मूर्तियाँ, प्रवेश द्वार और उसका तोरण, नवग्रह आदि शिल्पकला के उत्कृष्ट अंकन हैं। मंदिर के सामने सरोवर, दशावतार मंदिर और बाहर मूर्तियाँ भी विद्यमान हैं।
गड़रमल मंदिर के उत्तर-पश्चिम में, एक अहाते में जैन मंदिर समूह है। यद्यपि ये मंदिर जीर्ण-शीर्ण हैं, पर कुछ वेदियाँ, मूर्तियाँ एक पीठिका पर स्थित चरचिन्ह, मध्य में स्थित 12 फुट उत्तुंग तीर्थंकर आदिनाथ की खड्गासन प्रतिमा दर्शनीय है।
बड़ोह प्राचीनकाल में पठारी का ही एक भाग था। इस समय बड़ोह के भग्नावशेष, पठारी से दक्षिण में लगभग 5 कि.मी. पर ज्ञाननाथ पहाड़ी की तलहटी में तालाब के किनारे बिखरे हुये हैं। अनेक प्रकार की किंवदंतियाँ गड़रिया और मुनि तथा भस्मशाह और पाड़ाशाह की चर्चायें यहाँ प्रचलित हैं।