मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का मूल नाम भोजपाल था। इसके आस- पास बोली जाने वाली भाषा बुन्देली ही है। इसलिये यह अंचल बुन्देलखण्ड में ही सम्मिलित माना जाता है। यों तो नवाबों की नगरी भोपाल के आस-पास कोई विशाल अतिशय या सिद्ध जैन तीर्थ नहीं है परंतु मंदिर अवश्य प्राचीन विद्यमान हैं। भोपाल के आगे एक ओर मालवा और दूसरी ओर निमाड़ का अंचल प्रारंभ हो जाता है।
भोपाल शहर का चौक मंदिर और झरनेश्वर मंदिर अत्यंत प्राचीन हैं। अभी- अभी मनुआभांड़ की टेकरी पर श्वेताम्बर जैन समाज ने ‘महावीर गिरि’ नामक आधुनिक जैन क्षेत्र विकसित किया है। लेकिन प्राचीन क्षेत्र के नाम पर भोपाल से मात्र 30 किलोमीटर दूर भोजपुर ही है।
स्थिति
भोजपुर राजस्व की दृष्टि से रायसेन जिले में आता है, लेकिन व्यवहारिक दृष्टि से भोपाल के पास यह एक मात्र जैन क्षेत्र है। इसलिये अवकाश के दिनों में जैन धर्मावलंबी यहाँ प्रायः दर्शन हेतु आते-जाते रहते हैं। भोजपुर, विशाल शिवलिंग और अधूरे पुरातात्विक शिव मंदिर के कारण प्रमुख रूप से देश भर में जाना जाता है। शिव मंदिर के पीछे ही शांतिनाथ जिनालय निर्मित है। बेतवा नदी के तट पर बसे भोजपुर के इस स्थल को भोपाल के जैन धर्मावलंबियों ने अब अच्छे एवं व्यवस्थित क्षेत्र के रूप में विकसित कर लिया है।
इतिहास
धारा नरेश राजा भोज संस्कृत के विद्वान और कलाओं के मर्मज्ञ थे। संस्कृत के स्वयं भी बड़े विद्वान थे। कवि कालीदास और मानतुंगाचार्य जैसे शीर्षस्थ संस्कृत के विद्वान उनके काल में प्रसिद्धि के शिखर पर थे। जहाँ कवि कालीदास अपने अनेक महत्वपूर्ण संस्कृत ग्रंथों के कारण विश्व भर में उच्च कोटि के रचनाकार माने जाते हैं, वहीं आचार्य मानतुंगाचर्य जी जैन-जगत में उच्च कोटि के साधक-संत होने के साथ ही भक्तामर जैसे महान काव्य के रचयिता के रूप में प्रातः स्मरणीय हैं। ‘भक्तामर’ आकार में या संख्या में भले मात्र 48 छंदों का ही लघु काव्य है. पर भाव, भाषा, व्याकरण, प्रवाह, प्राकृतिक उपमाओं, रूपकों, प्रांजलता और लोकप्रियता आदि की दृष्टि से अद्वितीय है। आज विश्व का कोई ऐसा जैन परिवार नहीं होगा जिसकी जुबान पर ‘भक्तामर’ किसी न किसी रूप में विद्यमान न हो। इसके सैकड़ों अनुवाद हो चुके हैं। ऐसे ही महान काव्य ‘भक्तामर’ के प्रणेता एवं रचयिता आचार्य मानतुंगाचार्य की, चैत्र कृष्ण 5 वि.सं. 1113 (सन् 1056) की समाधि भोजपुर में वंदनीय है। इसमें यह सृजन तीर्थ के रूप में भी दर्शनीय है।
पुरातत्व
यहाँ के प्राचीन जिनालय में तीर्थकर शांतिनाथ, कुन्थनाथ एवं अरहनाथ की त्रिमूर्ति अत्यंत भव्य है। दसवीं ग्यारहवीं सदी की इस महत्वपूर्ण रचना के अवसर-अवसर पर यहाँ अनेक जलाभिषेक और प्रतिष्ठा आयोजन सम्पन्न हो चुके हैं। पास ही शिलाओं पर भी प्राचीन मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। नवीन निर्माण भी जारी है। धर्मशाला की अच्छी व्यवस्था है। विजली, पानी, सड़क आदि की सुव्यवस्था से यह अतिशय जैन क्षेत्र शान्तिनगर क्षेत्र के रूप में वंदनीय और पर्यटन योग्य है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।