पठारी ग्राम में पहाड़ी के दक्षिण पूर्व में बड़ोह ग्राम के निकट गडरमल नामक एक विशाल मन्दिर विद्यमान है। एक चहारदीवारी में मुख्य मंदिर के पास सात लघु मंदिर हैं। मुख्य मंदिर के सिर दल पर चतुर्मुखी भव्य यक्षी मूर्ति है, उसकी एक भुजा खण्डित है, शेष तीन बाहुओं में ढाल, तलवार और धनुष हैं। इस देवी मूर्ति का वाहन उसके पास ही स्थित है। अनुमान है कि यह अष्टम जैन तीर्थकर चन्द्रप्रभु की शासन सेविका ज्वालामालिनी है। मंदिर में तीन टुकड़ों में खण्डित एक सुन्दर मूर्ति, तीर्थंकर माता और बालक तीर्थंकर की है, कुछ विद्वान इसे माया देवी और बुद्ध की मूर्ति बतलाते हैं। परन्तु यह नहीं भूलना चाहिये कि मूलतः यह जैन मंदिर है। यहाँ का शिल्प कार्य अनुमानतः 8वीं- १वीं शताब्दी में सृजित किया गया। मंदिर के द्वार और स्तम्भों पर जैन मूर्तियाँ, प्रवेश द्वार और उसका तोरण, नवग्रह आदि शिल्पकला के उत्कृष्ट अंकन हैं। मंदिर के सामने सरोवर, दशावतार मंदिर और बाहर मूर्तियाँ भी विद्यमान हैं।
गड़रमल मंदिर के उत्तर-पश्चिम में, एक अहाते में जैन मंदिर समूह है। यद्यपि ये मंदिर जीर्ण-शीर्ण हैं, पर कुछ वेदियाँ, मूर्तियाँ एक पीठिका पर स्थित चरचिन्ह, मध्य में स्थित 12 फुट उत्तुंग तीर्थंकर आदिनाथ की खड्गासन प्रतिमा दर्शनीय है।
बड़ोह प्राचीनकाल में पठारी का ही एक भाग था। इस समय बड़ोह के भग्नावशेष, पठारी से दक्षिण में लगभग 5 कि.मी. पर ज्ञाननाथ पहाड़ी की तलहटी में तालाब के किनारे बिखरे हुये हैं। अनेक प्रकार की किंवदंतियाँ गड़रिया और मुनि तथा भस्मशाह और पाड़ाशाह की चर्चायें यहाँ प्रचलित हैं।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।