“वंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तनुश्याम्।
अरूण अधर जनुबिम्ब फल, नयन कमल अभिराम।।
पूर्ण इन्दु अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज।
जय मन मोहन मदन छबि, कृष्ण चन्द्र महराज ।।
मोर मुकुट कटि काछनी, कर मुरली उरमाल।
यहि बानक मोरे मन बसों, सदा बिहारी लाल ।।
जगत बन्धु ज्योति स्वरूप, जिय की जानन हार।
हरि यश माँगन आयो है, दास प्रभु के द्वार।।
राधे तुम बड़भागिनी, कौन तपस्या कीन्ह।
तीन लोक तारण तरण, सो तोरे आधीन ।।
अर्थ न धर्म न काम रूचि, गति न चहौ निर्वाण।
जन्म जन्म सिय राम पद, यह वरदान न आन।।
अच्युतं केशवं, राम नारायणं, कृष्ण दामोदरं वासुदेवं हरे।
श्रीधरं माधवं, गोपिका बल्लभं, जानकी नायकं रामचन्दं भजे।।
हरे राम, हरे राम, रामा रामा हरे हरे…..
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्णा कृष्णा हरे हरे….।”
“बोलो राधा कृष्ण भगवान की जय”
“त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।।”
‘त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देवः।।”