अंधेर नगरी चौपट्ट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा'।

Example 1:

(1-एक प्रकार की मिठाई) जहाँ शासन में कोई विधि-व्यवस्था न हो वहाँ कहते है।

Example 2:

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने इस पर एक बढ़िया प्रहसन लिखा है, जिसका सारांश है- किसी समय एक गुरू और उनका चेला तीर्थयात्रा को बाहर निकले। एक नगर में पहुँच कर गुरू ने चेले को आटा लाने के लिए बाजार भेजा। चेले ने सभी चीजें एक ही भाव पर बिकते देख कर मिठाई खरीद ली। गुरू ने यह देख कर ऐसी अंधेर नगरी में रहना पसंद नहीं किया और चेले को वहीं छोड़ वे दूसरी जगह चले गये। इधर उनका चेला अंधेर नगरी में बढ़िया- बढ़िया मिष्ठान्न और दूध-मलाई खाकर खूब मोटा-ताजा हो गया। संयोगवश उस नगर में किसी का खून हो गया। बहुत तलाश करने पर भी जब खूनी का पता नहीं चला तो राजा ने इसी मोटे चेले को फाँसी की आज्ञा दी। गुरू को पता चला तो वे चेले को छुड़ाने आये और बोले- यह निर्दोष है। खून मैने किया है। इस पर गुरू को ज्यों ही फाँसी दी जाने लगी त्यों ही चेला चिल्ला उठा नहीं, नहीं, खून मैने ही किया है। गुरू जी निर्दोष हैं। इस प्रकार घंटों वाद-विवाद होने के पश्चात् दोनों की रिहाई हो गयी।