जैसे को तैसो मिलो, मिली खीर में खाँड़। / तें जात की बेड़नी, मैं जात कौ भाँड़।।

Example 1:

कथा-एक ग्रामीण वेश्या ने पितृ पक्ष के दिनों में ब्राह्मणों को अपने घर भोजन कराना चाहा। परन्तु कोई उसके घर आने को राजी नहीं हुआ। बहुत ढूंढ़-खोज के बाद तिलक-छापा लगाये और गले में माला पहिने हुए एक ब्राह्मण वेश में व्‍यक्ति मिला। उसे वह अपने साथ लिवा लायी और बड़े प्रेम से भोजन कराया। अंत में दक्षिणा देकर बोली- महाराज, मेरा अपराध क्षमा कीजिएगा। मैं जाति की बेड़नी हूँ। ब्राह्मण-भोजन कराने की बड़ी इच्छा थी, इसलिए आपको लिवा लायी। ब्राह्मण बोला- कोई बात नहीं। मैं भी भाँड़ हूँ। ब्राह्मण का वेष बनाये फिर रहा था। सोचा चलो आज इस प्रकार ही कहीं बढ़िया माल खाने को मिल जायगा और उसने ऊपर का दोहा कहा।