जौन रूख के जुआँ1 बनें तरेइँ हो काय खों कड़ने।

Example 1:

(1-जुआ, संस्कृत युग, गाड़ी के आगे लगी हुई वह लकड़ी जो बैलों के कंधे पर रहती है।) जिस वृक्ष की लकड़ी के जुआँ बने उसके नीचे से ही क्यों निकलना ? अर्थात जिस आदमी को हानि पहुंचायी है उसके समीप ही क्यों जाना ? उससे तो बच कर रहना अच्छा।