डाँड़ी मारें साव कहावें, हर हाँकै सो चोर। / चुपर-चुपर के बाबा खावें, जिनके ओर न छोर।।

Example 1:

तराजू की डंडी मार कर अर्थात लोगों को धोखा देकर पैसा कमाने वाले तो साहूकार कहलाते हैं, साधू-सन्यासी, जिनके घरबार का ठिकाना नहीं, घी चुपड़ी खाते हैं, और हल हांकने वाला किसान, जो परिश्रम की रोटी खाता है, चोर समझा जाता है।