तेल देखो, तेल की धार देखो।
Example 1:
किसी काम में जल्दी करना ठीक नहीं। धैर्य-पूर्वक परिणाम की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
Example 2:
इसकी एक कथा है कि किसी राज कुमार के चार मित्र थे, सिपाही, ब्राह्मण, उटेरा और तेली। पिता की मृत्यु के बाद जब वह गद्दी पर बैठा तब उन चारों को उसने अपना मंत्री बनाया। निकट के राजाओं ने उसे इस प्रकार मूर्ख मंत्रियों से घिरा देख कर उस पर चढ़ाई कर दी। राजकुमार ने चारों मंत्रियों को बुलाया और इस विषय में अपनी-अपनी सम्मति देने को कहा। जो सिपाही था उसने तुरंत युद्ध करने की सलाह दी। ब्राह्मण देवता ने कहा- व्यर्थ की मार-काट में क्या रखा। जैसे बने संधि कर लेनी चाहिए। उँटेरे ने कहा- जल्दी किस बात की। देखिये ऊँट किस करौंटा बैठता है। तेली ने भी इसका समर्थन किया और कहा- घबड़ाइए नहीं, अभी तेल देखिए और तेल की धार देखिए। क्या पता क्या हो। मतलब यह कि जो जिस प्रवृत्ति का था उसने वैसी बात राजा से कही।