दच्छया1 लैबो तौ आसान, पै सीदो2 दैबो कठिन।

Example 1:

(1-दीक्षा, गुरुमंत्र। 2-ब्राह्मण को दक्षिणा के रूप में दी जाने वाली भोजन की बिना पकी सामग्री।) किसी काम की जिम्मेवारी ले लेना तो आसान है, पर उसका निबाहना कठिन है।

Example 2:

इसकी एक कथा है- एक बार एक अहीर ने किसी ब्राह्मण से दीक्षा लेने का विचार किया। इसके लिए उसने एक पंडित को बुलाया। पंडित ने कहा-अच्छी बात है। हम दीक्षा देने को तैयार हैं। परन्तु हम जैसा कहें वैसा करना। अहीर इस पर राजी हो गया। पंडित दूसरे दिन ही दीक्षा देने आया। अहीर से उसने कहा-बैठ पटा पै। अहीर ने कहा- बैठ पटा पै। पंडित ने कहा- तुम बड़े मूर्ख हो। अहीर बोला- तुम बड़े मूर्ख हो। पंडित ने क्रोध में आकर अहीर को एक थप्पड़ जमा दिया। और कहा बदमाशी करते हो। अहीर ने उठ कर पंडित को थप्पड़ जमाना शुरू किया। अब दोनों में घंटों गुत्थम-गुत्था होती रही। अंत में पंडित किसी प्रकार जान बचा कर घर आया। वहाँ उसकी स्त्री राह देख रही थी कि आज पंडित जी दीक्षा देने गये हैं, खूब दक्षिणा 1. मिलेगी। परन्तु पंडित जब घर पहुंचे तो उनकी दशा देख कर वह सन्न होकर रह गयी। इधर अहीर को ध्यान आया कि पंडित जी दीक्षा देकर तो चले गये परन्तु उनका सीदा तो यहीं रखा रहा। अतः उसने अपनी स्त्री से कहा कि तुम पंडित जी के घर जाकर सीदा दे आओ। स्त्री सीदा लेकर चली। इघर पंडितानी क्रोध में भरी तो बैठी ही थीं। जैसे ही अहीरिन सीदा लेकर पहुंची उन्होंने उसे मारना शुरू कर दिया। अहीरिन बेचारी किसी प्रकार भाग कर घर आयी। अहीर ने पूछा- सीदा दे आयी ? अहीरिन ने कहा- दच्छया लेना तो आसान, परन्तु सीदा देना कठिन है। तुम सीदा देने गये होते तो पता चलता।