दुनियां ठगिये मक्कर सें। रोटी खैये सक्कर सें।।

Example 1:

दुनिया में सीधे-सच्चे आदमी का गुजारा नहीं। जाल-फरेब से लोगों को ठगने वाले आदमी ही मौज से रहते हैं। उन पर व्यंग्य।