नंगी नाचै, पूतै खाय, बेटा की सों जेई आय।

Example 1:

जब अपनी चाल-ढाल से कोई स्त्री स्वयं अपने को चरित्रहीन प्रकट करती फिरे तब।

Example 2:

इसकी एक कथा है- किसी मनुष्य के दो स्त्रियां थीं। जेठी की गोद में छः महीने का बालक था। एक दिन मौका पाकर छोटी ने उसे मार डाला और कहना शुरू कर दिया कि बड़ी ने मुझे बदनाम करने के लिए यह काम किया है। बड़ी ने लोगों के सामने रोकर कहा- कोई माँ होकर अपने लड़के को मार डाले, भला ऐसा भी किसी ने देखा सुना है। में स्नान करने गयी थी। इस बीच में इसने उसका गला दबा दिया। सुन कर लोग बड़े आश्चर्य में पड़े और असली अपराधी कौन है यह किसी की समझ में नहीं आया। अंत में मामला गाँव के मुखिया के पास पहुँचा। उसने दोनों स्त्रियों को बुला कर कहा-अच्छी बात है में अभी इस बात का फैसला करता हूँ कि लड़के को किसने मारा। तुम दो में से जो स्त्री हम लोगों के सामने बिलकुल नंगी होकर खड़ी हो जाये और नाचे उसी को हम निर्दोष समझ लेंगे। सुन कर बड़ी ने कहा- मेरा लड़का का लड़का गया और ऊपर से अपनी लाज-शरम भी खोऊँ। ऐसा तो में कदापि नहीं कर सकती भले ही आप मुझे अपराधी समझ लें। छोटी ने कहा- मैंने जब कोई बुरा काम किया ही नहीं तब आप लोगों के सामने नंगी होकर नाचने में क्या डर? और वह कपड़े उतारने के लिए तैयार हो गयी। यह देख कर मुखिया ने तुरंत कहा- बस बस फैसला हो गया- नंगी नाचे, पूतै खाय, बेटा की सों जेई आय। जो नंगी नाचने को तैयार है उसी ने लड़के की हत्या की है। मैं पुत्र की शपथ खाकर कह सकता हूँ कि यही असली अपराधिनी है।