बड़न की बात बड़े पहचाना।
Example 1:
बड़ों की बात बड़े ही समझ सकते हैं। बड़े ही बड़ों की कद्र कर सकते हैं।
Example 2:
कथा है कि एक सियार जंगल में कहीं जा रहा था। उसी सड़क पर एक बैना (जुलाहा) जा रहा था। कंधे पर धुनकी और हाथ में डंडा। सियार ने समझा कि यह कोई शिकारी है। कहीं ऐसा न हो कि मुझे मार दें। इसलिए दूर से ही खुशामद करके बोला- 'कांधे धनुष हाथ में बाना, कहाँ चले दिल्ली सुल्ताना।' सियार की यह बात सुनकर बैना मन ही मन बड़ा प्रसन्न हुआ। और बोला- बन के राव, बेर का खाना, बढ़न की बात बड़े पहचाना।' उसके बाद बैना के निकट आने पर सियार को अपनी भूल मालूम हुई तो यह कहता हुआ जंगल में भाग गया- 'तुक्क तुक्का तैना, हम लड़ई, तुम बैना।" लड़ई या लड़ईया सियार को कहते हैं।