विद्या पड़े सजीवनी निकरे मत के हीन। / तुलसी बिना विवेक के बन में खाये तीन।।
Example 1:
इसकी एक कथा है कि एक बार तीन ब्राह्मण-पुत्र काशी से संस्कृत पढ कर अपने घर को लौट रहे थे। वे संजीवनी विद्या जानते थे। रास्ते में एक जंगल में उन्हें एक मरा हुआ शेर मिला। उस पर अपनी विद्या की परीक्षा करने के लिए उसे उन्होंने जीवित कर दिया। परन्तु शेर जैसे ही जीवित हुआ उन तीनों को वह एक ही झपट्टे में खा गया। यह संजीव जातक है।