भरत के प्या1 ने प्रान लै लये।

Example 1:

(1-पैली, लगभग दस सेर के नाप का अनाज नापने का बर्तन) कया है, कि राम जब चौदह वर्ष के लिए वन गये तब भरत ने एक बार प्रजा को पैली से नाप-नाग कर अनाज उधार दिया। उसके पश्चात पैली की पेंदी पर जितना अनाज बना उतना ही वापिस लिया। अर्थात दिया तो अधिक और लिया बहुत ही कम। परंतु फिर भी प्रजा को इससे संतोष न हुआ। राम के वन से लौट कर आने पर उनसे शिकायत की कि महाराज, आपकी अनुपस्थिति में हमें और तो सब सुख रहा, परंतु भरत के प्या ने प्राण ले लिये। कहावत का अभिप्राय यह कि कोई कितनी ही भलाई करे फिर भी लोगों को आलोचना का अवसर मिल ही जाता है।