इकहरिए मिलौ न ताव1। परकड़ए मिलौ न भाव।।
Example 1:
(1.तुर्त-फुर्त काम करने का अवसर। काम की गर्मी।) ऐसा किसान जिसके पास केवल एक हल हो समय पर जुताई-बुवाई का काम नहीं कर पाता, उसी तरह दूसरे का ऋण लेकर काम करने वाला किसान भी गल्ले को उचित भाव पर नहीं बेच पाता, क्योंकि साहूकार का ऋण चुकाने के लिए मनमाने भाव पर दे देना पड़ता है।