राम भजन कों टेढ़े-मेढ़े, आल्हा कों अन्यारे। जो कऊँ सुन पायें फाग-दिवारी, खोद खायँ गलयारे।।

Example 1:

राम भजन में तो मन नहीं लगता, परन्तु आल्‍हा सुनने के लिए सदैव तैयार। और यदि कहीं फाग-दिवारी के गीत हो रहे हों तो क्या पूछना। रास्ता ही खूंद डालें।