सावन ब्‍यारी जब तब कीजे। भादों बाको नाव न लीजे।। / क्वाँर मास के दो पखवारे। जतन जतन से टारो प्यारे।।/ आवे कातिक होय दिवारी। ठेल

Example 1:

सावन में ब्‍यालू कभी कभी ही करना चाहिए। भादों में उसका नाम नहीं लेना चाहिए। क्वाँर में बहुत संभल कर रहना चाहिए। उसके बाद आधा कातिक बीतने पर, जब दिवाली हो जाय, खूब पेट भर भी ब्यालू करे तो कोई चिन्ता की बात नहीं।