करघा छोड़ तमासें जाय। नाहक चोट जुलाहा खाय।।
Example 1:
अपना काम छोड़ कर दूसरे के झगड़े में पड़ने से हानि उठानी पड़ती है। इसकी एक कथा इस प्रकार है- एक बार किसी शहर में, जो एक छोटी नदी के किनारे बसा हुआ था, खूब वर्षा हुई। उससे नदी में बाढ़ आ गयी। लोग बाढ़ का तमाशा देखने जा रहे थे। किसी जुलाहे से उसके मित्रों ने कहा- चलो तुम भी बाढ़ का तमाशा देखो। जुलाहे ने इन्कार किया और कहा कि करषे में थान चढ़ा हुआ है, और इस समय कुछ बूंदाबांदी भी हो रही है, परन्तु मित्रों के बार-बार कहने से विवश होकर वह भी उनके साथ हो लिया। जिस रास्ते वे लोग जा रहे थे उस पर एक पुराना मकान था। रास्ते में पानी जोर का बरसने लगा। जब वे उस मकान के नीचे होकर निकले तो संयोग से उसकी रास्ते की तरफ की दीवार उन पर गिर पड़ी। और लोग तो बच गये परन्तु गरीब जुलाहे को गहरी चोट आयी और बेचारा मरने को हो गया। लोग उसे चारपाई पर लाद कर घर लाये। इस पर वहीं एक व्यक्ति ने, जो इस सारे किस्से से परिचित था, उक्त वाक्य कहा।