कागद होय तौ बाँचिये, करम न बाँचे जायें।
Example 1:
कागज में लिखे हुए को तो पढ़ा जा सकता है, परन्तु कर्म में लिखे को कोई नहीं पढ़ सकता। एक लोकगीत की कड़ी।
Example 2:
यह कहावत ठीक इसी रूप में, थोड़े से शब्द परिवर्तन के साथ, गुजरात में भी प्रचलित है।- तन खाँ होय तो तोड़िओ रे, प्रीत न तोड़ी जाय। कागज होय ते बाँचिजे रे, करम न बाँचा जाय।