गै गै पृथिवी भारी है।
Example 1:
पग पग पर पृथिवी भारी है। अर्थात् एक से एक बढ़ कर वस्तुएँ संसार में भरी पड़ी हैं। रत्नगर्भा वसुंधरा।
Example 2:
इसकी एक कथा है कि एक पहलवान को कमनैती का बड़ा शौक़ था। वह नित्य प्रातःकाल उठ कर अपनी पत्नी की नथ में से तीर चलाया करता और कहा करता कि कहो संसार में मुझसे बढ़कर कोई धनुर्धर नहीं। स्त्री बेचारी डर के मारे इन शब्दों को दुहरा दिया करती। परन्तु एक दिन खीझ कर बोली- तुम्हीं अकेले धनुर्धर नहीं। गै गै पृथिवी भारी है। स्त्री की यह बात पहलवान को बहुत बुरी लगी और वह उसी समय घर से बाहर निकल पड़ा। चलते-चलते रास्ते में एक ऐसे पहलवान से उसकी भेंट हुई जो एक साँस में दस हजार डंड और बैठक लगाता और कलेवा में दस मन सत्तू घोल कर पी जाता था। फिर एक ऐसा तीरंदाज मिला जो आकाश में इन्द्र के अखाड़े तक अपना तीर फेंक सकता था। फिर एक ऐसे व्यक्ति से भेंट हुई जो एक लाख योजन की वस्तु देख सकता था, और सब पशु-पक्षियों की बोली समझ लेता था। इन सबको देख कर पहलवान को मन ही मन इस बात का चेत हुआ कि उसकी स्त्री ने वास्तव में ठीक कहा था कि गं गै पृथिवी भारी है। उसका यह दंभ चूर हो गया कि वही संसार में सबसे बड़ा गुणी है और वह अपने घर लौट आया।