अपनी टेक भँजाई, बलमा की मूँछ कटाई।
Example 1:
अपनी हठ को पूरा करने के लिए अपनों को हानि पहुँचाने वाले के लिए।
Example 2:
कथा- किसी समय एक पुरुष और उसकी स्त्री में इस बात को लेकर बहस हुई कि स्त्री और पुरुष दोनों में कौन बुद्धिमान और चालाक है। स्त्री अपनी जाति की प्रशंसा करती और पुरुष अपने को श्रेष्ठ बताता। एक बार स्त्री बीमारी का बहाना करके लेट रही। उसके पति ने बहुत इलाज किया, परन्तु आराम नहीं हुआ। एक दिन स्त्री ने कहा, तुम अपनी मूँछ मुड़ा डालो तो मैं अच्छी हो जाऊंगी। पति ने ऐसा ही किया। दूसरे दिन ही स्त्री चारपाई से उठ बैठी और मजे में चक्की पीस कर गाने लगी- अपनी टेक भँजाई, बलमा की मूंछ कटाई। सुन कर पति को पता चल गया कि, अरे, यह तो मेरे साथ चालाकी कर गयी। वह अपनी ससुराल गया और सास से बोला कि तुम्हारी लड़की बहुत बीमार है। तुम सब यदि अपना सिर मुड़ा कर और गधे पर सवार होकर उसके सामने चलो तो वह अच्छी हो सकती है। इसके अतिरिक्त कोई और उपाय नहीं। माँ को लड़की बहुत प्यारी होती है। उसने अपना और अपनी बहुओं तथा लड़कियों का सिर मुड़वा लिया और सबके साथ गधे पर सवार होकर लड़की के दरवाजे आयी। उस समय चक्की पीसते हुए वह अपना वही गीत गा रही थी कि 'अपनी टेक भँजाई, बलमा की मूंछ कटाई।' तभी उसके पति ने सामने जाकर कहा- 'देख री लुगाई, जा मुँड़ियन की पलटन आई।' सुन कर और अपनी माँ बहिनों और भावजों को ऐसी बुरी अवस्था में देख कर स्त्री बड़ी लज्जित हुई।