मध्य रेल्वे के ललितपुर स्टेशन से, चुन्देरी होकर 58 कि.मी., बीना जंक्शन से मुंगावली होकर 58 कि.मी. एवं अशोकनगर स्टेशन से भी 58 कि.मी. की समान दूरियों पर यह अतिशय क्षेत्र विद्यमान है।
विन्ध्य पर्वत श्रृंखलाओं में अवस्थित थुवौन जी उर्वशी और लीलट सरिताओं से परिवेष्ठित, प्राकृतिक सुषमामयी पुरातात्विक तीर्थ है। दरअसल थूवौन या थोवन शब्द प्राचीन नाम तपोवन का वर्तमान में विकृत रूप है।
इतिहास
थूवौन जी की मूर्तियों का निर्माण काल अन्य निकटतम तीर्थों की भाँति अनुमानतः बारहवीं से सत्रहवीं शताब्दी के मध्य का रहा है। यहाँ प्रतिष्ठापक के रूप में सेठ पाणाशाह का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
पुरातत्व
इस तीर्थ पर पच्चीस जिनालय एवं एक मानस्तम्भ है। मंदिरों में 3 फुट की अवगाहना से लेकर 30 फुट की अवगाहनायुक्त पद्मासन एवं खड्गासन जिन बिम्ब वन्दनीय हैं। इसके अतिरिक्त भी चारों ओर अगणित मूर्तियाँ बिखरी पड़ी हैं। धर्मशाला और संग्रहालय भी यहाँ निर्मित किया गया है।
थूवौन जी में अधिकांश मूर्तियाँ तीर्थंकर पार्श्वनाथ की हैं जो 15 फीट से लेकर 30 फुट उत्तुंग और भव्याकर्षक हैं।
भगवान शांतिनाथ और एक चर्तुमुखी प्रतिमा चन्द्रप्रभु की अति मनोरम है। मंदिर संख्या 4 के सामने की मढ़िया में एक विशाल यक्ष मानभद्र की मूर्ति है जो जिन बिम्ब को अपने मस्तक पर धारण किये हुए भावविभोर होकर नृत्य में लीन है। इसी प्रकार एक हनुमान जी की भव्य प्रतिमा जो दो मुनिवरों को अपने कंधों पर विराजमान किये है, विशेष पौराणिक महत्व की है। विभिन्न देवियाँ अपने माथे पर चतुर्भुज जिन प्रतिमायें रखे हुए यथा मानभद्र की नृत्यरत मूर्तियाँ और सम्वत् 1200 की निर्मित मण्डप में संग्रहित विभिन्न मूर्तियाँ भी ऐतिहासिक महत्व की हैं।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।