एम. ए. हनफी
September 21, 2024दिनेशचन्द्र दुबे
September 21, 2024जन्म – 21 नवंबर 1942 ई.
जन्म स्थान – दमोह (म.प्र.)
जीवन परिचय –
उपन्यास – नारहट की वीरांगना , चित्रांश , राम तजे क्या होगा रे
उपन्यासकार विनोद श्रीवास्तव ने एक ओर नारहट की वीरांगना का क्रांतिकारी व अदम्य शौर्य का वर्णन किया है तो दूसरी ओर “रामतजे क्या होगा रे” के द्वारा समाज को शक्ति और भक्ति की बात कही है। आपके उपन्यासों की भाषा हिन्दी है। पात्र और सम्वाद कथानक के अनुरूप है। साठोत्तरी औपन्यासिक लेखन में जहाँ स्वतंत्रता संघर्ष की क्रांति की तपिश नारहट की वीरांगना में परिलक्षित होती है तो स्वातन्त्र्योत्तर काल की भक्ति के सम्बल व्यक्ति और समाज के आधार बने हैं। विनोद श्रीवास्तव ने यही सब को अपने उपन्यासों में अभिव्यक्ति दी है।
नारहट की वीरांगना विनोद श्रीवास्तव का प्रथम उपन्यास है जिसमें उन्होंने बुन्देलखण्ड में ‘बुन्देला विद्रोह’ की तपिश और आगे जब 1857 क्रांति की अनुगूँज से क्षेत्र उद्वेलित हो रहा था। ऐसे में आक्रमणकारी कम्पनी सरकार के दमन चक्र बुन्देलखण्ड व बुन्देलों के रूधिर प्रवाह में उबाल आ रहा था। इसी पृष्ठभूमि में लिखा विनोद श्रीवास्तव का उपन्यास नारहट की वीरांगना है। जिसका सार संक्षेप इस प्रकार है- यह एक एतिहासिक उपन्यास है। यह नायिका प्रधान उपन्यास है। इसकी नायिका ‘सजनी’ है जो देश-प्रेम से ‘परिपूर्ण’, स्वाभिमानी जुझारूपन से ओत-प्रोत है।
अन्य पात्र –
- नत्थे खां, टेहरी का सेनापति , सदाशिव राव-शिवपुरी क्षेत्र का झाँसी का सिपहसालार
- नवल सिंह , मधुकर शाह बुन्देला (नारहट का राजा) , शाहगढ़ के राजा
- अंग्रेज आदि हैं।
कथानक – इस समय बुन्देलखण्ड में सत्ता (राज्य) अंग्रेज परस्त और अंग्रेजों के विरोधी खेमों में बँटा था इनमें आपसी द्वन्द्व भी होते थे। ऐसे ही नारहट नरेश मधुकरशाह और शाहगढ़ के राजा एक दूसरे के शत्रु थे। जिसका लाभ अंग्रेजों ने उठाया। नारहट के मुखिया सजनी के पिता इसके शिकार हुये। तभी उसकी बेटी सजनी (उपन्यासकार का दिया नाम) विद्रोही बन, पुलिस में भर्ती हो गई और पिता के बलिदान का बदला लेने को तत्पर हुई नारहट के पतन के बाद सजनी वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई झाँसी की सेना में शामिल हो अंग्रेजों के विरूद्ध लड़ती रही। अंत में झाँसी के पतन के बाद वह ओरछा चली गई। वहीं उसका प्राणान्त हुआ। किन्तु अपने पीछे वह एक वीरांगना की अमर कहानी छोड़ गई। विनोद श्रीवास्तव ने उसे नारहट की वीरांगना अपने उपन्यास में बहुश्रुत कर दिया।
भाषा-शैली – ऐतिहासिक उपन्यासों के विन्यस्त रूप में लिखी गढ़ी है। इसकी भाषा और सम्वाद कथानक रूप व पात्रानुसार है।
- चित्रांश- चित्रांश विनोद श्रीवास्तव की अन्य औपन्यासिक कृति है।
- चित्रांश वैदिक काल की घटना संकुल उपन्यास है।
- इसके पात्र वैदिक कालीन सुर-असुर हैं।
- इसका नायक सुर राज नहुष का पुत्र ययाति और असुरों के गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी है।
- चित्रांश का कथानक इसी वैदिक कथा पर आधारित है। जिसमें औपन्यासिक प्रवृत्ति के शोध और कल्पना का समावेश है। यह ययाति एवं देवयानी के प्रेम की संवाहक है। इसमें अनेक अवांतरों और प्रसंगों की आवृत्ति हुई है। जिसकी परिसमाप्ति राजा विषपति ‘मित्र’ की विमुक्ति हुई है। चित्रादित्य का उल्लेख स्कंद पुराण में है।
भाषा-शैली- चित्रांश उपन्यास एक वैदिक कथा है परन्तु इसकी भाषा हिन्दी है। इसकी वर्णन शैली किस्सागोई की संबोधन शैली के अधिक समीप है। यथा-
आइये हम आपको अब लिए चलते हैं….
आइये पुनः पूर्वकाल की ओर चलें
इसमें सामयिक संस्कृति, संस्कार व समाज की दशा का विन्यस्त चित्रण हुआ है।
राम तजे क्या होगा रे – उपन्यासकार विनोद श्रीवास्तव की यह तीसरी कृति है। इसमें श्रीराम से विलग होने में उनके पुत्रों लव-कुश की कथा है जो रामायण के कथानक पर आधारित है।