श्री रामभरोसे हयारण ‘अभिराम’
September 16, 2024श्री सुंदरलाल रायकवार
September 16, 2024जन्म – 20 मार्च सन् 1923 ई.
जन्म स्थान – झाँसी
काव्य ग्रन्थ – निष्कलंक अवतार , रणचण्डी
जीवन परिचय – कविवर राधाचरण द्विवेदी का जन्म सनाढ्य ब्राह्मण परिवार में सन् 1923 ई. में 20 मार्च को हुआ था। आपके पिता पं. गनेशीलाल द्विवेदी झाँसी के प्रसिद्ध वैद्य थे। आपने साहित्यरत्न तक शिक्षा प्राप्त की है। श्री द्विवेदी जी की पन्द्रह वर्ष की आयु में ही काव्य सृजन की ओर प्रवृत्ति हो गयी थी। द्विवेदी जी की कविताओं में राष्ट्रीय चेतना का प्रखर स्वर था, परिणामस्वरूप राजद्रोह के आरोप में आप सन् 1945 में कटनी (म.प्र.) में बन्दी बनाये गये और ग्यारह माह का कारावास प्राप्त हुआ। आपकी झाँसी की रानी जैसी कविताएँ जब्त कर ली गयी थीं।
द्विवेदी जी एक सफल कवि होने के साथ – साथ एक सफल सम्पादक भी हैं। आपने 30 वर्ष तक अनेक दैनिक एवं साप्ताहिक पत्र – पत्रिकाओं का संपादन कार्य भी किया है। द्विवेदी जी सन् 1948 में राज्य – विद्रोह के अपराध में पुन: बन्दी बनाये गये और सेन्ट्रल जेल रीवा में 3 माह 10 दिन कारागृह में रहे। सन् 1956 में आपने अपना आवास दतिया बनाया और वहाँ जिला काँग्रेस कमेटी के मन्त्री के रूप में कार्य किया तथा समय – समय पर अनेक सामाजिक संस्थाओं में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में सोत्साह कार्य करते रहे।
द्विवेदी जी संप्रति राजनीति से सन्यास लेकर अपने पैतृक भवन श्री गोपाल मन्दिर सीपरी बाजार में भगवान की सेवा पूजा, कर्मकांड एवं ज्योतिष सम्बन्धी कार्य कर जीविकोपार्जन करते हुए साहित्य सेवा में संलग्न है। द्विवेदी जी के दो काव्य ग्रन्थ ‘निष्कलंक अवतार’ एवं ‘रणचण्डी’ प्रकाशित हो चुके हैं किन्तु झाँसी की रानी, हरदौल चरित्र तथा सत्य विजय (नाटक) तीन कृतियाँ अभी अप्रकाशित ही हैं।
द्विवेदी जी की भाषा में विषयानुकूल वैविध्य है। उनके वाणी वंदना के छंद प्रवाह युक्त सानुप्रास, कोमलकान्त पदावली से युक्त हैं तो ‘झांसी की रानी’ रचना उत्साहवर्द्धक प्रसाद एवं ओजगुण समन्वित सरल व्यावहारिक भाषा से परिपूर्ण। उनकी रचनाओं में वीर रस का पूर्ण परिपाक हुआ है वह भावाभिसिंचित एवं मार्मिक बन पड़ा है।