जीवन परिचय – कविवर राधाचरण द्विवेदी का जन्म सनाढ्य ब्राह्मण परिवार में सन् 1923 ई. में 20 मार्च को हुआ था। आपके पिता पं. गनेशीलाल द्विवेदी झाँसी के प्रसिद्ध वैद्य थे। आपने साहित्यरत्न तक शिक्षा प्राप्त की है। श्री द्विवेदी जी की पन्द्रह वर्ष की आयु में ही काव्य सृजन की ओर प्रवृत्ति हो गयी थी। द्विवेदी जी की कविताओं में राष्ट्रीय चेतना का प्रखर स्वर था, परिणामस्वरूप राजद्रोह के आरोप में आप सन् 1945 में कटनी (म.प्र.) में बन्दी बनाये गये और ग्यारह माह का कारावास प्राप्त हुआ। आपकी झाँसी की रानी जैसी कविताएँ जब्त कर ली गयी थीं।
द्विवेदी जी एक सफल कवि होने के साथ – साथ एक सफल सम्पादक भी हैं। आपने 30 वर्ष तक अनेक दैनिक एवं साप्ताहिक पत्र – पत्रिकाओं का संपादन कार्य भी किया है। द्विवेदी जी सन् 1948 में राज्य – विद्रोह के अपराध में पुन: बन्दी बनाये गये और सेन्ट्रल जेल रीवा में 3 माह 10 दिन कारागृह में रहे। सन् 1956 में आपने अपना आवास दतिया बनाया और वहाँ जिला काँग्रेस कमेटी के मन्त्री के रूप में कार्य किया तथा समय – समय पर अनेक सामाजिक संस्थाओं में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में सोत्साह कार्य करते रहे।
द्विवेदी जी संप्रति राजनीति से सन्यास लेकर अपने पैतृक भवन श्री गोपाल मन्दिर सीपरी बाजार में भगवान की सेवा पूजा, कर्मकांड एवं ज्योतिष सम्बन्धी कार्य कर जीविकोपार्जन करते हुए साहित्य सेवा में संलग्न है। द्विवेदी जी के दो काव्य ग्रन्थ ‘निष्कलंक अवतार’ एवं ‘रणचण्डी’ प्रकाशित हो चुके हैं किन्तु झाँसी की रानी, हरदौल चरित्र तथा सत्य विजय (नाटक) तीन कृतियाँ अभी अप्रकाशित ही हैं।
द्विवेदी जी की भाषा में विषयानुकूल वैविध्य है। उनके वाणी वंदना के छंद प्रवाह युक्त सानुप्रास, कोमलकान्त पदावली से युक्त हैं तो ‘झांसी की रानी’ रचना उत्साहवर्द्धक प्रसाद एवं ओजगुण समन्वित सरल व्यावहारिक भाषा से परिपूर्ण। उनकी रचनाओं में वीर रस का पूर्ण परिपाक हुआ है वह भावाभिसिंचित एवं मार्मिक बन पड़ा है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।