साठोत्तरी काल के पूर्व हिन्दी साहित्य में कुछ नवीन प्रयोग प्रारम्भ हुये जिनमें अभिव्यंजना और मुहावरों के आधारों पर जीवन के यथार्थ को सृजित किया है। हरिशंकर परसाई ने व्यंग्य साहित्य को पुनर्जीवित कर गति प्रदान की और हिन्दी साहित्य में नये आयाम जोड़े। परसाई जी से बुन्देलखण्ड की व्यापकता का परिचय इस प्रकार है।
परसाई जी का जन्म म.प्र. के ग्राम जामनी, होशंगाबाद में हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा स्थानीय स्कूल व काॅलेजों में हुई। क्रांति और साहित्य-सृजन की भूमि जबलपुर ने हरिशंकर को परसाई बनाने में अच्छा परिवेश प्रदान किया।
सृजन के आधार –
व्यंग्य – हरिशंकर परसाई के सृजन में कथानकों की वरीयता है। आपने परम्परा से विरत अभिव्यंजना अथवा व्यंग्य को एक नवीन ऊँचाई पर प्रतिष्ठित किया जिसने उन्हें हिन्दी साहित्य पटल पर प्रस्थापित किया। इसके अतिरिक्त हरिशंकर परसाई जी ने हिन्दी-गद्य में भी अपनी लेखनी की छाप छोड़ी है। आपके उपन्यास – “रानी नागफनी की कहानी” , एवं तट की खोज बहुचर्चित है। यह एक ऐतिहासिक चरित्र है नायिका प्रधान आख्यान है। इसकी नायिका रानी नागफनी है। उपन्यास की भाषा सरल सुबोध हिन्दी है। पात्र कथानुसार गठित किये गये हैं। सम्वाद पात्रों की भाषा की अभिव्यक्ति है। आपने वसुधा अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका का सम्पादन किया।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।