डॉ. वासुदेव मोरेश्वर राव आठले
September 21, 2024ओमप्रकाश भरद्वाज
September 21, 2024जन्म – 22 अगस्त 1924 ई.
जन्म स्थान – होशंगाबाद (म. प्र.)
जीवन परिचय –
निधन – 1995 ई.
साठोत्तरी काल के पूर्व हिन्दी साहित्य में कुछ नवीन प्रयोग प्रारम्भ हुये जिनमें अभिव्यंजना और मुहावरों के आधारों पर जीवन के यथार्थ को सृजित किया है। हरिशंकर परसाई ने व्यंग्य साहित्य को पुनर्जीवित कर गति प्रदान की और हिन्दी साहित्य में नये आयाम जोड़े। परसाई जी से बुन्देलखण्ड की व्यापकता का परिचय इस प्रकार है।
परसाई जी का जन्म म.प्र. के ग्राम जामनी, होशंगाबाद में हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा स्थानीय स्कूल व काॅलेजों में हुई। क्रांति और साहित्य-सृजन की भूमि जबलपुर ने हरिशंकर को परसाई बनाने में अच्छा परिवेश प्रदान किया।
सृजन के आधार –
व्यंग्य – हरिशंकर परसाई के सृजन में कथानकों की वरीयता है। आपने परम्परा से विरत अभिव्यंजना अथवा व्यंग्य को एक नवीन ऊँचाई पर प्रतिष्ठित किया जिसने उन्हें हिन्दी साहित्य पटल पर प्रस्थापित किया। इसके अतिरिक्त हरिशंकर परसाई जी ने हिन्दी-गद्य में भी अपनी लेखनी की छाप छोड़ी है। आपके उपन्यास – “रानी नागफनी की कहानी” , एवं तट की खोज बहुचर्चित है। यह एक ऐतिहासिक चरित्र है नायिका प्रधान आख्यान है। इसकी नायिका रानी नागफनी है। उपन्यास की भाषा सरल सुबोध हिन्दी है। पात्र कथानुसार गठित किये गये हैं। सम्वाद पात्रों की भाषा की अभिव्यक्ति है। आपने वसुधा अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका का सम्पादन किया।