ओमप्रकाश भरद्वाज
September 21, 2024गोविन्द दास त्रिपाठी
September 21, 2024जन्म – 9 अप्रैल 1931
जन्म स्थान – सखरेज गाँव , कानपुर
जीवन परिचय – साठोत्तरी उपन्यास के सृजन में आंचलिक उपन्यास लेखकों की एक बड़ी श्रृंखला बुन्देली साहित्य में देखने को मिलती है। जिनमें अतीत के अक्स प्रतिबिम्बित हुये हैं। चंदेल काल के स्वर्णिम युग में अकूत साहित्य का सृजन हुआ है। जिनमें क्षेत्रीय सांस्कृतिक, शौर्य को साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में उकेरा है। रमाकांत अकेले के साहित्य में इसके दर्शन होते हैं। आपका लिखा उपन्यास ‘कीर्तिसागर’ इसीलिये बहुचर्चित रहा जिसका संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत है।
उपन्यास ‘कीर्तिसागर’ का प्रकाशन आल्हा महोत्सव समिति महोबा ने 1997 में किया है। यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है। जिसमें महोबिया वीरों आल्हा ऊदल के पराक्रम की पुनर्स्थापना हुई है। इसका कथानक चन्देलों के कीर्ति, गौरव व शौर्य का प्रतीक ‘कीर्तिसागर’ की भूमि पर हुई पृथ्वीराज चौहान और महाराज परमर्दिदेव के बीच हुये युद्ध का वर्णन है। इसके पात्र ऐतिहासिक हैं। जिनमें परमर्दिदेव, आल्हा ऊदल, जगनिक, मल्हना (रानी) व उनकी पुत्री आदि हैं। उपन्यास की भाषा हिन्दी बनाफरी है। सम्वादों में क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग है।
रमाकांत अकेले ने समकालीन, रासो, महोबा समय के कथा-सूत्रों को पुनः प्रस्थापित कर समाज में चंदेलों की कीर्ति को आज के समाज में बुन्देलखण्ड की शौर्य गाथा के रूप में प्रस्तुत किया है।