जीवन परिचय – साठोत्तरी उपन्यास के सृजन में आंचलिक उपन्यास लेखकों की एक बड़ी श्रृंखला बुन्देली साहित्य में देखने को मिलती है। जिनमें अतीत के अक्स प्रतिबिम्बित हुये हैं। चंदेल काल के स्वर्णिम युग में अकूत साहित्य का सृजन हुआ है। जिनमें क्षेत्रीय सांस्कृतिक, शौर्य को साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में उकेरा है। रमाकांत अकेले के साहित्य में इसके दर्शन होते हैं। आपका लिखा उपन्यास ‘कीर्तिसागर’ इसीलिये बहुचर्चित रहा जिसका संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत है।
उपन्यास ‘कीर्तिसागर’ का प्रकाशन आल्हा महोत्सव समिति महोबा ने 1997 में किया है। यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है। जिसमें महोबिया वीरों आल्हा ऊदल के पराक्रम की पुनर्स्थापना हुई है। इसका कथानक चन्देलों के कीर्ति, गौरव व शौर्य का प्रतीक ‘कीर्तिसागर’ की भूमि पर हुई पृथ्वीराज चौहान और महाराज परमर्दिदेव के बीच हुये युद्ध का वर्णन है। इसके पात्र ऐतिहासिक हैं। जिनमें परमर्दिदेव, आल्हा ऊदल, जगनिक, मल्हना (रानी) व उनकी पुत्री आदि हैं। उपन्यास की भाषा हिन्दी बनाफरी है। सम्वादों में क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग है।
रमाकांत अकेले ने समकालीन, रासो, महोबा समय के कथा-सूत्रों को पुनः प्रस्थापित कर समाज में चंदेलों की कीर्ति को आज के समाज में बुन्देलखण्ड की शौर्य गाथा के रूप में प्रस्तुत किया है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।