मानस विश्वास
September 21, 2024रघुनाथ सिंह ‘मधुप’
September 21, 2024जन्म – सन् 1937 ई.
जन्म स्थान – चिरगाँव, जिला-झाँसी (उ.प्र.)
जीवन परिचय –
वर्तमान – कुण्डेश्वर, टीकमगढ़ (म.प्र.)
व्यवसाय – सेवानिवृत्त प्राध्यापक
पिता – स्व. गुलाबराय
ग्रंथ – गुणसागर सत्यार्थी वास्तव में एक कवि हैं। जहाँ आपने अपनी काव्य कुशलता की काव्य क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी है। आपने प्राचीन काव्य शैली के अनुबन्धों को नवगीत, प्रयोगवादी गीतों से जोड़ा है। आप लोक भाषा शिल्पी, चित्रकार, पत्रकार, नाटक व संगीत कला में निष्णांत हैं।
प्रकाशित ग्रंथ – मेघदूत का बुन्देली पद्यानुवाद , चौखूँटी दुनियाँ , तीन खूँट का गरम समोसा , वनवास , बाल रामायण
उपन्यास – एक थी राय प्रवीण 2012 में प्रकाशित
एक ऐतिहासिक आंचलिक उपन्यास हैं। इसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है- यह चरित्र प्रधान उपन्यास हैं। इसकी नायिका राय प्रवीन है जो ‘राई’ (बेड़नी) समाज से है। जो बाद में ओरछा नरेश इन्द्रजीत की आश्रिता बनी और आचार्य केशवदास की शिष्या बनकर नृत्य और कविता में निपुण होकर प्रसिद्ध हुईं। इस प्रसिद्धि से उसे सम्राट अकबर से भेंट हुई इस प्रकार की कथावस्तु लगभग सभी पूर्व रचनाकारों ने लिखी है। इसे ओरछा की नृत्यांगना, वेतवा की नृत्यांगना, राय प्रवीन ओरछा की जन नायिका कहा गया है। किन्तु उसके विषय में कोई शोध पूर्ण सामग्री उपलब्ध नहीं है। इतिहास में इसका उल्लेख नहीं मिलता।
गुणसागर सत्यार्थी ने ‘एक थी राय प्रवीन’ 2012 में प्रकाशित अपने प्रथम उपन्यास में इसके विषय में अपने विचारों से राय प्रवीन का चरित्र-चित्रण किया है। जिसमें संगीत नृत्य का समावेश है। अंत में राय प्रवीन का वेतवा में प्राणान्त करा कर उपन्यास का समाहार हुआ है। इसमें लेखक डॉ. वृन्दावन लाल वर्मा के उपन्यास ‘विराटा की पद्मिनी’ का प्रभाव परिलक्षित होता है जो अकल्पित व अविश्वसनीय लगता है।
उपन्यास की भाषा सरल हिन्दी व बुन्देली मिश्रित है। इसमें बुन्देली समाज-संस्कृति एवं सरोकारों का अच्छा चित्रण हुआ है। इसके संवाद एक ओर दरबारी भाषा के द्योतक हैं तो दूसरी ओर ग्रामीण बोल-चाल की भाषा में लिखे गये हैं।