ग्रंथ – गुणसागर सत्यार्थी वास्तव में एक कवि हैं। जहाँ आपने अपनी काव्य कुशलता की काव्य क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी है। आपने प्राचीन काव्य शैली के अनुबन्धों को नवगीत, प्रयोगवादी गीतों से जोड़ा है। आप लोक भाषा शिल्पी, चित्रकार, पत्रकार, नाटक व संगीत कला में निष्णांत हैं।
प्रकाशित ग्रंथ – मेघदूत का बुन्देली पद्यानुवाद , चौखूँटी दुनियाँ , तीन खूँट का गरम समोसा , वनवास , बाल रामायण
उपन्यास – एक थी राय प्रवीण 2012 में प्रकाशित
एक ऐतिहासिक आंचलिक उपन्यास हैं। इसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है- यह चरित्र प्रधान उपन्यास हैं। इसकी नायिका राय प्रवीन है जो ‘राई’ (बेड़नी) समाज से है। जो बाद में ओरछा नरेश इन्द्रजीत की आश्रिता बनी और आचार्य केशवदास की शिष्या बनकर नृत्य और कविता में निपुण होकर प्रसिद्ध हुईं। इस प्रसिद्धि से उसे सम्राट अकबर से भेंट हुई इस प्रकार की कथावस्तु लगभग सभी पूर्व रचनाकारों ने लिखी है। इसे ओरछा की नृत्यांगना, वेतवा की नृत्यांगना, राय प्रवीन ओरछा की जन नायिका कहा गया है। किन्तु उसके विषय में कोई शोध पूर्ण सामग्री उपलब्ध नहीं है। इतिहास में इसका उल्लेख नहीं मिलता।
गुणसागर सत्यार्थी ने ‘एक थी राय प्रवीन’ 2012 में प्रकाशित अपने प्रथम उपन्यास में इसके विषय में अपने विचारों से राय प्रवीन का चरित्र-चित्रण किया है। जिसमें संगीत नृत्य का समावेश है। अंत में राय प्रवीन का वेतवा में प्राणान्त करा कर उपन्यास का समाहार हुआ है। इसमें लेखक डॉ. वृन्दावन लाल वर्मा के उपन्यास ‘विराटा की पद्मिनी’ का प्रभाव परिलक्षित होता है जो अकल्पित व अविश्वसनीय लगता है।
उपन्यास की भाषा सरल हिन्दी व बुन्देली मिश्रित है। इसमें बुन्देली समाज-संस्कृति एवं सरोकारों का अच्छा चित्रण हुआ है। इसके संवाद एक ओर दरबारी भाषा के द्योतक हैं तो दूसरी ओर ग्रामीण बोल-चाल की भाषा में लिखे गये हैं।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।