
परिक्रमा
July 30, 2024
गंगा जी की आरती
July 31, 2024आरती कुंज बिहारी की
आरती कुंज बिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मृरारी की
गले में बैजन्ती माला, बजावें मुरली मधुर लाला
श्रवण में कुडंल झलकारा, नयन बिच सुरत उजारी की
आरती कुंज बिहारी………….
कनक मय मोर मुकुट बिल से, देवता दर्शन को तरसे
गगन से सुमन अधिक बरसें, लाज रख गोप कुमारी की
आरती कुंज बिहारी………….
खड़ी मैं मॉग ती भक्ति, देव इस जीवन से मुक्ति
परम पद पाने की शक्ति, लाज रख लेव भिखारिन की
आरती कुंज बिहारी………….
आरती के साथ ‘मंगल माधौ तेरो जस गाओ, सबइ सुख पायौं”….. गीत गाया जाता है। अक्षत हाथ में लेकर ‘ऊमैं चंदा ऊमैं सूरज गौआ बंधन खोलियों’ गीत गायन होता है। अपने घट को हाथ में लेकर वेदिका पर बने राधा कृष्ण की आकृति के चारों ओर घूमते हुए कहती हैं ‘कामधाम सब छोड़न दो, कनैया से नातो जोड़न लो’ ….. गीत पूरा होने पर हाथ के अक्षत आकृति पर चढ़ा, चरण स्पर्श कर बैठ जाती हैं।