रूक्मिन चलो जनम भूमि चलिएँ।
जनम जनम के पाप कटत हैं, तर बैकुन्ठे जइये।।
जब से छोड़ी मैने मथुरा नगरी,
ग्वाल बाल संग नइयाँ, रूक्मिन चलो जनम भूमि चलिए।
जब से छोड़ी मैने माई जसोदा
गोरस को सुख नइयाँ, रूकिमन चलो जनम भूमि चलिए।
जब से छोड़ी मैने सौलह सौ गऊंयें
माखन को सुख नइयाँ, रूक्मिन चलो जनम भूमि चलिए।
जब से छोड़ी मैने सोलह सौ सखियों
रहस रचाये नइयाँ, रूक्मिन चलो जनम भूमि चलिए।
जनम जनम के पाप कटत हैं तर बैकुन्ठ जइये।।
जिन पायन परिक्रमा जो दइयों
मथुरा को कार्तिक अनइयो,
रूक्मिन चलो जनम भूमि चलिएँ
जनम जनम के पाप कटत हैं तर बैकुन्ठ जइये…..२
जब मेरो लाल कलेवा री माँगे
दधि माखन और मिसरी, रूकिमन
जब मेरो लाल खिलोना री माँगें
चंदा सूरज की जोड़ी, रूकिमन चलो जनम भूमि चलिए।
जब मेरो लाल झगुलिया री माँगें
रतन जड़ी नोनी टोपी, रूकिमन चलो जनम भूमि चलिए।
जब मेरो लाल दुलइया री माँगे चलो जनम भूमि चलिए।
राजा बृषभान की बेटी, रूकिमन…….
जनम जनम के पाप कटत हैं तर बैकुन्ठ जइये…..२