भगवान की कथा
July 31, 2024टका की कथा
July 31, 2024
चार भाई, भौजाई व एक ननद थी, सास नहीं थी। सब मिल कर कर्तिक स्नान करती थीं। जब-जब कार्तिक का महीना आता, हर साल सब कार्तिक स्नान करती थीं। सबेरे सब लोग जल्दी उठें सब मिल कर घर का सब काम निपटायें, पूजा की तैयारी करें। फिर नदी पर स्नान करने जायें, पूजा करने जायें, घर में जो काम निपटने को रह जाये तो ननद से कहें कि तुम सब निपटा के आ जाना, माँ नहीं थी व सीधी सादी ननद थी। वह जब सब काम निपटाकर नदी पर पहुँचती तब तक भाभियाँ नहा धोकर पूजा में लग जाती, सो वह भी जल्दी से डुबकी मार कर निकले और जो थोड़ी बहुत पूजा जो रह जाती उतनी कर ले।
एक दिन तपिया उसका तप लेने आये, और उसके बिस्तर पर पान की पीक, लोंग आदि सब डाल गये व बिस्तर पर थूक गये। फिर धीरे धीरे वे रोज ऐसा ही करने लगे। सबेरे उसकी भाभियाँ उठती तो बिस्तर पर रोज ऐसा पड़ा हुआ देखतीं उसे भी बहुत आश्चर्य होता कि ऐसा सब कौन करता है। एक दिन भाभियाें ने उसके भइयों से कहा तुम्हारी बहन के बिस्तर पर रोज पान की पीक, थूक बगैरह सब पड़े रहते हैं। पता नहीं, तुम्हारी बहन के कमरे में रात को कौन आता है। भाइयों ने कहा ऐसा कैसे हो सकता है हमारी बहन ऐसी नहीं है। सभी भाई अपनी बहन को बहुत चाहते थे।
वे कहने लगे ठीक है आज रात को हम लोग पहरा देगे, चारों भाई रात को बैठे रहे जब आधी रात हो गई तो धीरे से तपिया उनकी बहन के कमरे में जाने लगे, तो भाइयों ने उनका हाथ पकड़ लिया बोले तुम कौन हो और यहाँ रोज क्यों आते हो। क्या बात है तब तपिया ने कहा तुम्हारी बहन का तप लेने आते हैं। तुम्हारी बहन न अगूंठा बोरे, न पोंद चबोरे, न सखियों के संग चले, न गाये न बजाये, ऐसे कहीं कार्तिक नहाया जाता है। अब सब भाई सबेरे जल्दी जल्दी उठे और चुपचाप सब देखते रहे सब तैयारी करके जब भाभियाँ नदी स्नान को जाने लगीं तो ननद से बोलीं तुम सब काम निपटा के आ जाना हम लोग जा रहे हैं।
भाई सब सुन रहे थे वे ये सुन कर उठ कर आये और भाभियाें से बोले कि तुम सब मिलकर पहले ये सब काम निपटाओ, फिर हमारी बहन को अपने साथ लेकर जाना, साथ में मिलजुल कर स्नान करना और एक साथ पूजा करना तभी जाने देगें। उस दिन से सब लोग एक साथ नहाने लगीं, संग में पूजा करने लगीं। फिर जब कार्तिक पूर्णिमा आई सब ने मिलजुल कर पकवान भोग प्रसाद बनाया सबने लोल कुचइया बनाई। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सबने मिल कर कार्तिक पूजे और कार्तिक स्नान की। पूजा का फल सब भाभीयों व साथ में ननद को भी मिला।
।। बोलो तपिया महराज की जय ।।
।। कार्तिक भगवान की जय ।।