
तपिया की कथा
July 31, 2024
मियॉबिलार की कथा
July 31, 2024घर में ससुर व दो बहुएँ थी। सास नहीं थी, ससुर पूजा पाठ करते रहते, वे धार्मिक विचारों के थे। कार्तिक का महीना आया ससुर की इच्छा कार्तिक स्नान करने की थी। घर में गरीबी भी थी। बहुत कुछ सोच समझ कर ससुर ने सबसे छोटी बहू से कार्तिक स्नान करने की अपनी इच्छा जताई। बहू बहुत ही भली व धार्मिक विचारों की थी, उसने ससुर से कहा कि आपकी इच्छा है तो आप कार्तिक स्नान कर लें। भगवान सब पूरा करेगें। सो वे कार्तिक नहाने लगे, कार्तिक नहाते नहाते एक माह हो रहा था केवल पाँच दिन शेष बचे थे। ससुर ने बहू से कहा कि घर में कुछ नहीं है और सबेरे नदी में 5 टका डालना है।
बहू हसियाँ लेकर एक लुहार के घर गई ओर उसे गहना रख कर 5 टका ले आई उसने ससुर को दे दिये। ससुर बहुत खुश हुये दूसरे दिन फिर जब नहा धोकर लौटे तो फिर बहू से कहने लगे कल सबेरे फिर 7 टका लेकर दूसरे घाट पर नहाने जाना है। बहू उस दिन फिर कुपरिया लेकर तमेरे के यहाँ गई और उसे गिरवी रखकर 7 टका ले आई। इसी तरह चौथे और पाँचवे दिन भी बहु ने कुछ न कुछ घर का सामान गिरवी रखकर ससुर के लिये 10 और 15 टका ले आई पाँचवे दिन ससुर फिर उदास होकर लेट गये कि कल 30 टका लेकर जाना है इतने कहाँ से आवेगें, बहू ने कहा आप चिंता न करें भगवान कोई न कोई रास्ता अवश्य बतावेगा। उस दिन बहू अपने लड़को को कहीं न कहीं रखकर 30 टका ले आई और ससुर को लाकर दिये ससुर ने खुशी खुशी कार्तिक स्नान पूरे किये।
भगवान उन पर बहुत प्रसन्न हुए भगवान ने उन्हें सब कुछ दिया अब देवरानी के घर में धन देखकर जेठानी को ईर्ष्या होने लगी। उसने देवरानी से कार्तिक स्नान की सब विधि पूछी और कहा कि इस बार जब कार्तिक पड़ेगा तो पिताजी को हम स्नान करावेगें। जब कार्तिक महीना आया और इस बार इच्छा न होते हुये भी ससुर को बहू की बात माननी पड़ी और कार्तिक स्नान शुरू कर दिये। जब महीना पूरा होने को आया और 5 दिन बचे तो ससुर ने बहू से कहा कि कल दूसरे घाट पर जाना है 5 टका लगेगें। बहू ने उनसे गुस्से में कहा महीने भर से तो सब अच्छा अच्छा खा रहे हो अब कहते हो 5 टका चाहिये नहीं मिलेगें। हमारे पास नहीं है। सब कुछ होते हुये भी उसने ससुर को टका नहीं दिये।
ऐसे ही उसने दूसरे, तीसरे और चौथे दिन भी कुछ नहीं दिया व उन्हें पांचवें दिन भी कुछ नहीं दिया। पांचवें दिन भगवान उन पर नाराज हो गये व उनका सब कुछ उड़ा कर ले गये। जब घर में कुछ नहीं बचा तो वह देवरानी से लड़ने लगी कि तुमने किया कुछ है और हमको बताया कुछ है। इसलिए हमारा सब धन चला गया। ससुर ने कहा कि लड़ो नहीं जैसा तुमने किया सो तुमने पाया और जो उसने किया वो उसने पाया। उसका दोष नहीं है। तुम्हारे पास सब कुछ होते हुये भी तुमने धरम पुण्य के लिए देने से मना कर दिया उसके पास कुछ नहीं था तो भी वह दूसरों से उधार मांगकर हमको देती रही दान पुण्य के लिए। इससे जैसा उसने किया भगवान ने उसे वैसा ही दिया। तुमने होते हुये भी मना कर दिया इससे भगवान ने तुमसे छुड़ा लिया। तुम्हारी श्रद्धा धन पाने की थी जो तुम्हें नहीं मिला और उसकी श्रद्धा भगवान में थी इससे उसे भगवान ने सब कुछ दिया।
।। बोलो कार्तिक भगवान की जै ।।