टका की कथा
July 31, 2024एलीढेली की कथा
July 31, 2024एक माँ बेटे व बहु थे। बेटा रोज काम पर जाता था साथ ही खेती बारी भी करता था। खेतो में चारों तरफ हरियाली छायी हुई थी इससे जानवर और पशु पक्षी खेतों को नुकसान पहुँचा रहे थे। एक दिन लड़के ने माँ से कहा हम तो काम की वजह से खेतों तक पहुँच नहीं पाते, समय नहीं मिल पाता। इससे तुम कुछ समय के लिए खेतों पर चली जाओ तो खेतों की रखवाली अच्छी तरह से हो जायेगी। माँ ने जाने के लिए हाँ कर दी, लड़के ने बहू से कहा कि माँ को सबेरे खेत पर जाना है तुम माँ के लिए नाश्ता बना देना। घर में कुछ चूनी चोकर रखा था अनमने मन से बहू ने सास के कलेवे के लिए लड्डू बना दिया।
वे लड्डू देखकर लड़के को गुस्सा तो बहुत आया पर सास ने चुपचाप लड्डू रख लिए। सबेरा होते ही लड़का उन्हें जाकर खेत पर छोड़ आया और वे खुशी खुशी खेतों पर रहने लगीं। कभी जानवर व पशु पक्षी खेत पर आते तो वे खुश होकर कहती राम की चिरइयाँ, राम को खेत, खाओ री चिरइयाँ भर भर पेट” और वे खेत चुग जाते इसी तरह बहुत दिन बीत गये अषाढ़ आये तो बुढ़िया ने पूछा कौन हैं, वे बोले हम आषाढ़ हैं, बोली काहे को आये बोले गरजने, बरसने को आये, चारों तरफ हरियाली करने को आये। लाओ देव लड्डू बुढिया ने लड्डू उन्हें दे दिया। वे लड्डू खाकर बहुत खुश हुये और जाते समय एक खूँटा गाढ़ गये उनकी छाया हो गई।
अब सावन आये बुढ़िया ने पूछा तुम काहे को आये, बोले सावन सनीनों तिथि त्योहार मनावे को आये, झूला झुलावे को आये, राखियाँ बधावे को आये। लाओ देव एक लड्डू उन्होंने दूसरा लड्डू निकाल कर उन्हें दे दिया, खाकर खुश हो गये और जाते समय एक खूँटा वे गाढ गये। अब कुछ दिनों के बाद भादों आये बुढ़िया ने पूछा तुम कैसे आये भादों बोले- पूजा रचा तीज त्योहार मनावे को आये, सब कोई मेंहदी रचावे, गायहें बजायें, बनाये खायें सो आये, देव एक लड्डू उन्होंने तीसरा लड्डू निकाल कर उन्हें दे दिया। वे बहुत खुश हुये और जाते समय एक खूँटा वे गाढ़ गये और छाया हो गई, अब कुछ समय बीता क्वार आये बुढ़िया बोली तुम काहे को आये बोले महालक्ष्मी लाये, सब औरतें गुझिया पपड़िया बनाहें खैहें। नव दुर्गा में दुर्गा उत्सव मनाहें उपास करहें सो आयें। देव एक लड्डू बुढ़िया ने चौथा लड्डू भी उन्हें दे दिया।
चारों तरफ उनकी छाया हो गई बुढ़िया फूली ना समाई। अब क्वार गये सो कार्तिक आ गये बुढ़िया बोली, तुम काहे को आये, बोले सब औरतें राधा कृष्ण की पूजा करहें, कार्तिक नहायें व्रत, उपवास पूजा करहें दिवाली मनायें दिया लेसें, हम इससे आये देव लड्डू बुढ़िया ने पाँचवा लड्डू उनको दे दिया। कार्तिक भगवान बहुत प्रसन्न हुये, उनके मड़इया टूट कर महल हो गये, खूब सोना, चाँदी, हीरा-मोती से उनका घर भर गया, सुवरन की काया हो गई उधर उनका लड़का उसे घर लेने को आया तो इतना सब देखकर वो चकित हो गया। बुढ़िया ने सब बातें बेटे को बताई।
बेटा बहुत खुश हुआ और बैलगाड़ी में पूरा सामान उठाकर अपनी माँ को साथ लेकर घर आ गया दरवाजे पर बैलगाड़ी रोक कर लड़का अंदर गया बहू को आवाज लगाई कि माँ आ गई है आरती उतारो बहु ने कहा तुम्हीं जा कर आरती उतारो, तुम्हारी माँ है, लड़के ने माँ की आरती उतारी और अंदर लिवा के ले गया फिर बैलगाड़ी से सामान उतार कर अंदर ले गया, इतना सारा सोना चाँदी, हीरा माती देखकर बहू बहुत खुश हुई, बोली अबके चौमासे आने पर हम अपनी माँ को खेत पर भेजेगें। उसके मन में लालच आ गया। अगला चौमासा पड़ा, माँ को खेत पर रहने के लिए किसी तरह बहू ने मना लिया, इतना धन वैभव देखकर माँ तैयार हो गई। बहु ने माँ के लिए सब कलेवा, मगज के लड्डू बनाये और जाते समय कह दिया माँ भूखी मत रहना खाती पीती रहना और कलेवा भेंज देंगे, माँ खेत पर रहने चली गई।
पशु पक्षी चिड़ियाँ वगैरह रोज ही खेत चुगने आते थे, वो उन्हें मार कर भगा देती थी। कुछ दिन बाद आषाढ़ आये बुढ़िया ने तुम कैसे आये, उननें कहा गरजवे को आये, बरसवे को आये, गर्मी से राहत देवे को आये, चारों तरफ हरियाली करवे को आये। लाओ देव लड्डू बुढ़िया बोली ले ओ सिगट्टा, उसके एक सींग उग आया कुछ दिनों बाद सावन आये। बुढ़िया बोली तुम काहे को आय, बोले भइया बहन को राखी बधांवे को आये, सावने झूला डले, इसके लिए आये लाओ देव एक लड्डू उसने उन्हें भी सिगट्टा दिखा दिया और एक सींग वे उगा कर चले गये। भादों क्वार भी आये बुढ़िया ने उन्हें भी यही जवाब दिया लड्डू नहीं दिये खुद ही खाती रही।
इससे भगवान रूष्ट हो गये जब कार्तिक का महीना आया तो उसने कार्तिक स्नान व पूजा की निंदा तो भगवान ने उसके सिर पर चार सींग उगा दिये उसका मुँह सुगरिया का हो गया और वह हुर्र हुर्र करने लगी। बहु ने लड़के को भेजा हमारी माँ महीनों से खेतों पर उसको जाकर ले आवो। लड़का जब सास को लेने खेत पर पहुँचा तो उसने देखा उसके शरीर पर कपड़े नहीं हैं काया सुगरिया की थी। उसने बाहर से ही आवाज लगाकर अपना गमछा उसे दे दिया कहा कि लपेट कर बाहर आ जाओ वे चुपचाप बैलगाड़ी में बैठ गई घर पहुँच कर उनकी बेटी प्रसन्न मुद्रा में आरती लिए खड़ी थी और जैसे ही लड़की की निगाह उन पर पड़ी वह रोने लगी माँ ये आपको क्या हो गया है। आरती की थाली उसने एक ओर फेंक दी और अंदर ले जाकर उन्हें कपडे़ पहनाये और उनसे पूछा ये सब कैसे हो गया।
बेटे ने कहा देखा तूने तो हमारी माँ के लिए चूनी चोकर के लड्डू बनाये थे फिर भी वह इतना धन लेकर आई कि हमारा घर भर गया और अपनी माँ के लिए मगज के लड्डू बनाये और इसने खूब खाये और सबको ठेंगा दिखाया। इससे इनका ये हाल हुआ। इसके किये की सजा भगवान ने इनको दी हमारी माँ सीधी निष्कपट थी इसलिए भगवान ने उन पर और हम सब पर कृपा की। बहू बोली हमारे मायके में खबर कर दो हमारे भाई भतीजे आ जायें, लड़के ने अपनी ससुराल में चिट्ठी लिखी तुम सब लोग सिर मुड़वाकर और सिर पर तवा औंधा कर आ जाओ, भइयों ने सोचा वहाँ कुछ ऐसा रिवाज होगा, सो सब लोग ऐसे ही करके आ गये, जब दरवाजे पर बहन ने देखा तो अपने पति से बोली, ये क्या है। उसने जबाब दिया कि तूनू मेरी माँय मुड़ाई, मैंने मुड्यि़न ढेर लगाई। ये है और क्या ?
।। बोलो मियाँबिलार की जय।।