डॉ. सुधा चौहान ‘राज’
September 23, 2024राज नारायण बोहरे
September 23, 2024जन्म – 6 मार्च 1957 ई.
जन्म स्थान – टीकमगढ (म.प्र.)
जीवन परिचय –
शिक्षा – बी.ए. एल.एल.बी.
पद – एडवोकेट
पता – राजीव सदन, नायक मोहल्ला, टीकमगढ़ (म.प्र.)
रचना –
(1) कथा – बुन्देलखण्ड की लोक कथाएँ , चिरैया का दाना (चित्रकथा)
(2) नाटक – खेल-खेल में सीखें (बाल नाटक) , बुन्देलखण्ड के अहानें
(3) व्यंग्य – यात्रा , रंग चकल्लस , व्यंग्य विनोद , अट्टहास , झुनझुना
(4) उपन्यास – अथ काया कथा , मुर्गे की आत्म कथा
अजीत श्रीवास्तव हिन्दी बुन्देली के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी माताश्री डॉ. छाया श्रीवास्तव एक चर्चित लेखिका रहीं। आप का लिखा उपन्यास परित्यक्ता है। व्यंग्य का अस्तित्व सनातन से जुड़ा है। जो तत्कालीन काव्य-अभिव्यंजना का एक अमूल्य भाग रहा। इसका उद्भव हिन्दी गद्य के प्रारम्भ से परिलक्षित हुआ भारतेन्दु युग से चल कर स्वातन्त्र्योत्तर काल में स्पष्ट रूप से मुखरित होने लगा जिसका नेतृत्व हरिशंकर परसाई ने किया। बाद में समकालीन सामाजिक विसंगति, दूषणों को उजागर कर व्यंग्य कृति रूप में किया जाने लगा। जो हिन्दी साहित्य में अद्यतन व्यंग्य-कथ्य और कथनी को आत्म-कथ्यात्मक रूप में निष्पादित होने लगा है। इसमें अनेक नामचीन व्यंग्यकार आजकल बहुचर्चित हैं। अजीत श्रीवास्तव भी ऐसे ही आत्म-कथ्य के व्यंग्य लेखक हैं। उपन्यासों में आपके दो व्यंग्य उपन्यास- “अथ काया कथा” (2019) व “मुर्गे की आत्मकथा” (2020) प्रकाशित हैं। इन पर सम्यक् विचार विनिमय प्रस्तुत है।