खेल संबंधी पहेलियाँ
July 29, 2024अरग
July 30, 2024
अटक चली मटक चली पैर चला झेंइयाँ।
ऐसी खसम की लाड़ली सो चढ़ चली कइयाँ।।
ऐसी खसम की लाड़ली सो चढ़ चली कइयाँ।।
तलवार
अंच बैठे पंच बैठे और बैठो कौआ।
चार पुरा के माते बैठे, होन लगी चटकौआ ।।
चार पुरा के माते बैठे, होन लगी चटकौआ ।।
बंदूक
एक नार बहुरंगी, घर से निकरे नंगी।
बानारी कौ जौ सिंगार सिर पर नथनी मो पै बार ।।
बानारी कौ जौ सिंगार सिर पर नथनी मो पै बार ।।
तलवार
कारी गइया कोदों खाय, दै पादे तौ जी से जाय।
बंदूक
कारो करके चुवा कारो कर खाय।
पत्थर से मूड़ घिसे कोंची में घुस जाय ।।
पत्थर से मूड़ घिसे कोंची में घुस जाय ।।
छुरा
काली थी कलियारी थी, कारे बन में रहती थी।
लाल पानी पीती थी, मर्दों के झोंके लेती थी।
लाल पानी पीती थी, मर्दों के झोंके लेती थी।
बंदूक
खाने की न पीने की हात में के लेने की।
तलवार
चलो मिठुवा हारे चलें ॐ हूँ दद्दा कँइया लै लो।
तलवार
जोगी एक मड़ी में सोवे मद पीवे अरु मस्त न होवे।
जब ही बाला कान में लागे, जोगी छोड़ मड़ी को भागे ।।
जब ही बाला कान में लागे, जोगी छोड़ मड़ी को भागे ।।
बंदूक की गोली
टीले पै टौनइयाँ नाचे ।
छुरा
तनक सी धनियाँ पैरें खुसनियाँ,
ॐ हूँ दद्दा लै ले कइयाँ ।
ॐ हूँ दद्दा लै ले कइयाँ ।
तलवार
पैले डारो कारो कारो फिर डारो सटकारो,
लाल मुड़ी कौ दै टिकाओ, हो गओ न्यारो न्यारो।
लाल मुड़ी कौ दै टिकाओ, हो गओ न्यारो न्यारो।
बंदूक
कल्लू कुत्तिया कोदों खाय पाद भरे तो जी सों जाय
तोप
कारो कारो कैचुआ कारो फल खाय
पत्थर में मूँड घिसे दल्ल में घुस जाय।
पत्थर में मूँड घिसे दल्ल में घुस जाय।
छुरा
काली थी कलियारी थी, काले बन में रहती थी।
लाल पानी पीती थी, मरदा के छोगा लेती थी
लाल पानी पीती थी, मरदा के छोगा लेती थी
बन्दूक की गोली
गइया ब्यानी घर में तो बच्चा भयो खेत में,
जो गइया फिर मन करै तो बच्चा गयो पेट में।
जो गइया फिर मन करै तो बच्चा गयो पेट में।
बंदूक