प्रकृति संबंधी पहेलियाँ
July 27, 2024प्रकीर्ण पहेलियाँ
July 29, 2024
अम्म गड़े दो खम्भ गड़े। गढ़ी के राजा कूँद परे।
विष्ठा
अधिक गुल गुल अधिक सुकबार।
माझे टुकली ढिग ढिग बार ।।
माझे टुकली ढिग ढिग बार ।।
आँख
एक ईंट के दो दरवाजे
नाक
एक मढ़ी में दो दुआरे, हनुमन्त को जे भारे।
नाक
एक घर के दो दुआरे दोउ तरफन है प्यारे।
नाक
एक मढ़ी में दो दुआरे ।
नाक
गोल गोल सात कोल ।
सिर
तनक सी कुइया सींकन छाई।
ठुमुक ठुमुक जल भर लै आई।
ठुमुक ठुमुक जल भर लै आई।
नेत्र
एक रुख झलरा, तीके तरे बिलरा,
उकें तरें सुनकू, तीके तरें हप्पू ।
उकें तरें सुनकू, तीके तरें हप्पू ।
सिर, नेत्र, नाक और मुँह
कक्का कहैं लगे नही, दद्दा कहे लग जाये।
होंठ
कक्का कहें लगे नहीं, बिन कहें लग जाये।
होंठ
घाम में सर्राय हवा में मुरझाय,
छाया में बिल्कुल मर जाय।
छाया में बिल्कुल मर जाय।
पसीना
तनक सी डबिया में रामबाई बोले।
जीभ
देखी एक अनोखी नारी, गुन उसमें इक सबसे भारी।
पढ़ी नहीं यह अचरज लागे, मरना जीना तुरन्त बतावे।
पढ़ी नहीं यह अचरज लागे, मरना जीना तुरन्त बतावे।
नाड़ी
नर बत्तीस एक है नारी, जग में सबने देखी भाली।
मन में करिये सोच विचार पुरुष मरे, पर जीवे नार।
मन में करिये सोच विचार पुरुष मरे, पर जीवे नार।
दाँत और जीभ
नाय टटिया मायँ टटिया, बीच में बैठी गोरी बिटिया ।
जीभ
नैंचे बार ऊपर बार, बीच में बैठे मोती लाल।
नेत्र
तनक सी कुइया सींकन छाई।
ठुमक ठुमक के जल भर लाई ।।
ठुमक ठुमक के जल भर लाई ।।
आँखें
देखी है अरु खाई, पर चीखी हो तो राम दुहाई।
खाई
गोल गोल सात कोल ।
सिर
एक जने के पाँच मौड़ा
उंगलियाँ
झिल मिल कुआ रतन की बारी, ना जानो तै दैहों गारी
नेत्र
तनक से अरा में बत्तीस कौड़ी।
दाँत
तनक तनक सबको दई ।
दृष्टि