मध्यप्रदेश के गुना-भोपाल मुख्य मार्ग पर केवल 8 किलोमीटर की दूरी पर अतिशय क्षेत्र बजरंगढ़ स्थित है।
इतिहास
मूसागढ़, जयनगर और जैनागर आदि नामों से जाना जाने वाला यह प्राचीन क्षेत्र अब बजरंगगढ़ के नाम से जाना जाता है। यहाँ का एक जैन मंदिर लगभग 900 वर्ष प्राचीन है जिसका निर्माण एवं प्रतिष्ठा दानवीर पाड़ाशाह ने संवत् 1236 में कराया था।
पुरातत्व
यहाँ दो अन्य प्राचीन जिनालय हैं। मूल मंदिर में विशाल गुफा है उसमें तीन खड़गासन प्रतिमायें संवत् 1236 की प्रतिष्ठित तीर्थंकर शांतिनाथ की 18 फुट, कुन्थनाथ एवं अरहनाथ स्वामी की अवगाहना सहित 17-17 फुट उत्तुंग हैं। जिनालय विशाल और गगनचुम्बी हैं जिनमें अत्यन्त भव्य मूर्तियाँ वन्दनीय हैं। दोनों ओर की भित्तियों में पाँच पैनल तीर्थंकरों की अलंकृत मूर्तियों के निर्मित हैं। मूल वेदी के सीधे पाँच वेदियों पर भी प्राचीन जिन विम्ब वंदनीय हैं। कुछ मूर्तियाँ संवत् 1075, 1155 और 1225 की भी हैं। वर्तमान में क्षेत्र मंदिर में काँच की पच्चीकारी से सौंदर्य बढ़ाने का सराहनीय प्रयास हुआ है। यात्रियों के ठहरने के लिये धर्मशाला की भी व्यवस्था है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।