भजन

बने दूल्हा, छवि देखो भगवान की, 

दूल्हन बनी सिया जानकी, बने……..२

जैसे दूल्हा अवध बिहारी, 

बेसई दूल्हन जनक दुलारी

जाऊँ तन मन से बलिहारी, मनशा पूरन भई 

सबके अरमान की, दुल्हन बनी………

 ठाड़े राजा जनक के द्वार 

संग में चारों राजकुमार 

दर्शन करते सब नर नार, घूम छाई है डंका निशान की दुल्हन की…..

बने दूल्हा………

पंडित ठाड़े सगुन विचारें 

कोऊ कोऊ मुख से वेद उचारे 

सखियाॅ करती हैं न्योछारें

माया लुट गई सब हीरा के खान की दुल्हन बनी….. 

सखियॉ फूली नहीं समावें, दशरथ जू की गारी गावें 

दशरथ खड़े-खड़े मुसकावें, शोभा बरनी न जात धनुष बाण की, दुल्हन की। 

बने दूल्हा………..

सुनियो, सुनियो अवध किशोर तुम्हरो गलिन-गलिन में शोर, 

करियो कृपा हमारी ओर, मो पे खातिर न सधी जलपान की दुल्हन… 

बरनन कहॅ तक करें बजीर, बनरी बना दई रघुवीर 

कैसो सुन्दर बनो शरीर, इसमें शोभा है सारे जहान की दुल्हन बनी 

बने दुल्हा छवि देखो भगवान की दुल्हन बनी…….

भजन

आ जाऊँगी बड़े भोर दहिया लेके आ जाऊँगी बड़े भोर…..२ 

ना मानो कुढ़री धर राखो, मुतियन लागी कोर, दहिया लेके….२ 

ना मानो मटकी धर राखो, सबरो बिरज को मोल दहिया लेके….२ 

न मानों चुनरी धर राखो, जामें लिखें हैं पपीरा मोर दहिया लेके…..२ 

ना मानों गहनों घर राखो, बाजूबंद हमेल, दहिया लेके…..२ 

ना मानो लहॅगा धर राखो, रतन जड़े अनमोल, दहिया लेके…..२ 

आ जाऊँगी बड़े भोर दहिया लेके आ जाऊँगी बड़े भोर।।

* * *

(2)

जग असार में सार, रसना – हरि हरि बोल, रसना…. २

यह तन है एक झॉझरि नइया, केवल है हरि नाम खेवइया 

राम नाम झॅनकार रसना…। जग….२ 

जीवन कर्ज लिया है तुमने, चुकता कुछ न किया है तुमने 

ऋण का भार उतार, रसना…. जग….२ 

अधिक नहीं कुछ तो कर ले तू, बूँद बूँद से घट भर ले तू 

भर ले धन भंडार रसना। जग… 

श्वांस श्वांस भज नंद दुलारे, वो ही नइयॉ करें किनारे 

हो जा भव से पार, रसना-रसना जग…२।।

अपने तन की बीन बना ले, प्रेम स्वरों के तार चढाले। 

राम नाम झॅनकार रसना, रसना जग…२ 

जग असार में सार रसना, हरि हरि बोल, रसना…२

भजन

भई न विरज की मोर, सखी री में तो भई न बिरज की मोर 

काना रहती, काना बसती, कहॅ न करती किलोर, सखी री….. 

मथुरा रहती, बृदावन बसती, मधुवन करती, किलोर सखी री….. 

बृन्दावन के घने बगीचा, जहाँ बैठी पंख सिकोर सखी री…… 

उड़ उड़ पंख गिरे धरती में, जहें बीनत नंद किशोर, सखी री….. 

उन पंखन को मुकुट बनाओ, नाचत नंद किशोर, सखी री……

 भई न विरज की मोर सखी री में तो भई न बिरज की मोर।।

(4)

गोकुल से कभी मत जाना, ओ मुरलीधर साँवरिया। 

न प्रीत मेरी ठुकराना, ओ मुरलीधर साँवरिया।। 

जमुना के किनारे प्यारे, सखियन संग रहस रचाना। 

मधुबन में सॉझ सकारे, दधि गोरस लूट के खाना। 

ओ बनवारी, गिरवर धारी, मुरलीधर अधर बजाना।। ओ मुरलीधर…… 

गोकुल से आप कभी भी, अब जाने न पावोगें, 

रथ तोड़ चूर कर दूँगी, अकरूर जो कर पाओगे… 

ओ बनवारी गिरवर धारी, कुलप्रीत की रीत निभाना, ओ मुरलीधर.. 

तुम जाओगे कृष्ण मुरारी, तड़पेगी सब ब्रजनारी। 

ब्रज तजके अंतन जाना, है इतनी विनय हमारी, 

कहना माने, जिदना ठानो, सूना करके बरसाना।। ओ मुरलीधर…… 

मन चंचल भॅवर मुरारी, है चरण कमलपर वारी। 

राधा के पिया, मेरे मन बसिया, मुखचंद्र झलक दिखलाना। ओ…. 

गोकुल से कभी मत जाना, ओ मुरलीधर साँवरिया। 

न प्रीत मेरी ठुकराना, ओ मुरलीधर साँवरिया।।

भजन

करूँ गिरजा का पूजन तन मन से, मेरे माथे सिंदूर की लाज रहे..२ 

मेरे माथे की बिंदिया चमकती रहे। मेरी माँग सिंदूर से लाल रहे।।

मेरे हाथों की चूँड़ियाँ खनकती रहें। मेरे हाथों की मेंहदी लाल रहे।। 

मेरे पाँवों की बिछिया दमकती रहें। मेरे पावों का माहुर लाल रहे।। 

मेरे अंग की साड़ी चमकती रहे। मेरे सिर की चूनर लाल रहे।। 

मेरे मायके में फूली फुलवारी रहे। ससुराल में जोड़ी अमर रहे।। 

मेरे मायके में भइया भतीजे रहे। ससुराल में गोदी में लाल रहे।। 

करूँ गिरजा का पूजन तन मन से, मेरे माथे सिंदूर की लाज रहे….२

(6)

हे जगदंबे तुम्हारे द्वार मॉगन को आई सुहाग सिंगार 

पितु सम ससुर, मातु सम सासू, प्यारे.. २ वारे देवर दो चार, मांगन… 

अवध पुरी मिथला सी लागे, प्रियतम का पाऊँ अनूठा प्यार मॉगन… 

पति पद प्रीत देव अपनी सी, भव की भवानी कमल कर पसार, 

तुलसी दास आस रघुवर की, तुम बिन हिए की को जानन हार।। 

हे जगदंबे तुम्हारे द्वार, मॉगन को आई सुहाग सिंगार…..२

(7)

मॉगा है मैंने गोविंद से वरदान एक ही, 

तेरी कृपा बनी रहे, जब तक है जिंदगी ।। 

जिस पर प्रभू का हाथ हैं, वह पार हो गया। 

जो भी शरण में आया, उद्धार हो गया।। 

जिसका भरोसा गोविंद पर, डूबा कभी नहीं।। माॅगा है।

कोई समझ नहीं सका, माया बड़ी अजीब 

जिसने प्रभू को पा लिया, वो है खुशनसीब 

इनकी मर्जी के बिना पत्ता हिले नहीं ।। माँगा…२ 

ऐसे दयालु गोविंद से, रिश्ता बनाइये 

मिलता रहेगा आपको, जो कुछ भी चाहिए 

ऐसा करिश्मा होगा, जो हुआ कभी नहीं ।। माँगा है….२ 

कहते हैं लोग जिंदगी किस्मत की बात है 

किस्मत बनाना भी मगर इसके ही हाथ है।। 

गोविन्द पे कर यकीन, अब ज्यादा समय नहीं। माँगा है..

भजन

राधा तेरे चरणों की, एक धूल जो मिल जाये। 

सच कहती हूँ कृष्णा, तकदीर बदल जाये।। 

ये मन बड़ा चंचल है, कैसे तेरा भजन करूँ। 

जितना इसे समझाऊँ, उतना ही बदल जाये ।। राधा तेरे चरणों …..२

राधे तेरी रहमत तो, दिन रात बरसती है 

एक बूँद जो मिल जाये, मन की कली खिल जाये।।

राधा तेरे चरणों की …..२ 

नजरों से गिराना ना, चाहे जितनी सजा देना। 

नजरों से जो गिर जाये मुश्किल है संभल पाना।। राधा तेरे चरणोंकी….२

राधे इस जीवन की, बस एक तमन्ना है। 

तुम सामने हो मेरे मेरे प्राण निकल जायें।। राधा तेरे चरणों की..२

 राधा तेरे चरणों की धूल जो मिल जाये।

 सच कहती हूँ कृष्ण तकदीर बदल जाये।।