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July 31, 2024एक माँ ओर बेटे थे, उनके घर में बहुत गरीबी थी माँ दूसरों के घर में टहल काम किया करती थी। उसी से अपना घर चलाती थी। जब लड़का 5-6 साल का हुआ तो माँ ने उसका नाम लिखा दिया एक स्कूल में। लड़का स्कूल जाने लगा। स्कूल जाने के रास्ते में घोर जंगल पड़ता था। एक दिन उसने अपनी माँ से कहा माँ जंगल के रास्ते में हमें बहुत डर लगता है। माँ रोज सुबह ही काम पर जाया करती थी इसलिए उसने लड़के से कहा हमें तो रोज काम पर जाना पड़ता है इसलिए हम तुम्हें स्कूल नहीं छोड़ने जा सकते। जब तुम्हें डर लगे तुम गोपाल भइया को आवाज लगा देना वे तुम्हें स्कूल छोड़ आया करेगें।
माँ भगवान की परम भक्त थी उसे उनपर पूरा भरोसा था इसलिए उसने बेटे से ऐसा करने को कहा। एक दिन वह स्कूल जा रहा था, अचानक रास्ते में उसे डर लगने लगा तभी उसे अपनी माँ की कही हुई बात याद आ गयी वह भगवान को आवाज देने लगा गोपाल भइया, ओ गोपाल भइया, तुम कहाँ हो, हमारे पास आ जाओ हमको बहुत डर लग रहा है। बालक की करूण पुकार और माँ की श्रद्धा देखकर भगवान उसके सामने आ गये और बोले क्या है तुम मुझे क्यों पुकार रहे हो। उसने कहा हमें बहुत डर लग रहा है और स्कूल भी जाना है।
भगवान ने कहा आओ हम स्कूल छोड़ देते हैं, भगवान ने उसका हाथ पकड़ा और स्कूल तक छोड़ दिया। अब उसे अच्छा लगने लगा, वह रोज बीच जंगल में पहुँचकर गोपाल भइया को आवाज देता और भगवान बालक का रूप लेकर उसे स्कूल तक पहुँचा देते। एक बार शरद पूर्णिमा का त्यौहार आया गुरूजी ने सब बच्चों से कहा कि अपने अपने घर से दूध लेकर आना । उसने अपनी माँ से कहा कि गुरूजी ने कल दूध लेकर आने को कहा है। माँ ने कहा बेटा हमारे पास तो कुछ नही है हम दूध कहाँ से दे सकते हैं। दूसरे दिन वह उदास मन से स्कूल जा रहा था, इतने में भगवान बालक का रूप लेकर आये और बोले कि तुम उदास क्यों हो, उसने अपने गोपाल भइया को गुरूजी की बातें व अपनी माँ की विवशता सब बता दी।
भगवान ने कहा तुम चिंता मत करो उन्होंने रास्ते में एक छोटी सी डुबलिया में उसे दूध दे दिया और वह खुश होकर स्कूल चला गया। वहाँ सब बच्चों के हाथ में दूध देखकर गुरूजी ने उन्हें एक बर्तन में दूध पलटने को कहा उसके हाथ में छोटी सी डबुलिया में दूध देखकर सभी बच्चे हँसने लगे परन्तु जैसे ही उसने अपना दूध बर्तन में डालना शुरू किया सब बर्तन भर गये सब लोग उसे आश्चर्य से देखने लगे, गुरूजी ने उससे पूछा तुम दूध कहाँ से लाये हो तब उसने गुरूजी को अपनी माँ व गोपाल भइया का पूरा हाल सुना दिया। गुरूजी को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने कहा चलो आज हम तुम्हें घर छोड़ने चलेगें। रास्ते भर उन्हें कहीं भगवान के दर्शन नहीं हुये। सब हाल गुरूजी ने उसकी माँ को बताया माँ ने कहा कल हम तुम्हें स्कूल छोड़ने चलेगें।
जब माँ को भी कहीं भगवान दिखाई नहीं दिये तो उसने बेटे से कहा कहाँ है तुम्हारे गोपाल भइया हमें क्यों नहीं दर्शन देते तुम्हें रोज दर्शन देते हैं। माँ समझ गई साक्षात भगवान ही ने उसके बेटे की मदद की है फिर हमें क्यों नहीं दर्शन देते वह आत्म विभोर हो के बार-बार उनकी पुकार करने लगी, हे घनश्याम मुरली वाले, हे राधा के प्यारे हमें दर्शन दीजिए, कृपा कीजिए, उनकी भक्ति भाव को देखकर भगवान ने अपना चतुर्भुज रूप दिखाया वे उनके चरणों में गिर पड़ी। ऊपर स्वर्ग से विमान उतरा और उन्हें विमान में बिठा कर चले गये। भगवान ने जैसा उनको दिया वैसा सबको देवें। प्रभु सबकी लाज रखना।
।। बोलो भगवान श्री कृष्ण की जय ।।