
सरितायें
August 9, 2024
सीमा
August 9, 2024बुन्देलखण्ड की अधिकांश भूमि पठारी, पथरीली और कँकरीली है जिसे रॉकड़ कहा जाता है। उत्तरी एवं दक्षिणी बुन्देलखण्ड की कुछ भूमि काली रॉकड़ कहा जाता है। उत्तरी एवं दक्षिणी बुन्देलखण्ड की कुछ भूमि काली किस्म की मोटी है जबकि मध्य भाग की भूमि ऊँची-नीची टौरियाउ है। उत्तरी दक्षिणी पटि्टयों की भूमि समतल एवं उपजाऊ है। मध्य बुन्देलखण्ड की टौरियाउ भूमि में भी यत्र-तत्र मौटी, पतरूआ, काँकर, काबर, मार, पडुआ, छापर और निकी जैसी विभिन्न प्रकार की भूमि प्राप्त है, जो जल के बहाव और ठहराव के आधार पर निर्मित होती रहती है। यहाँ की नीची और समतल भूमि कृषि कर्म एवं ऊँची टौरियाउ भूमि आवास के उपयोग में लाई जाती है। दो टौरियों अथवा पहाडि़यों के मध्य नीची भूमि में पत्थरों (पैरियों) से सरलतापूर्वक तालाब और बंधियाँ बना लेना यहाँ की विशेषता है। पहाडि़याँ सुरक्षित और सुरम्य दुर्गों के निर्माण में भी उपयोगी रही है। इसी कारण बुन्देलखण्ड में दुर्गों, गढि़यों एवं सरोवरों की अधिकता पाई जाती है।