पंडित अनुराग चतुर्वेदी, दीनदयाल नगर मकरोनिया, सागर मध्यप्रदेश, बुन्देलखण्ड श्री पराग चतुर्वेदी, आहार विशेषज्ञ, ब्रजवासी मिष्ठान भंडार, 5 सिविल लाइन, जबलपुर रोड़, सागर मध्यप्रदेश, बुन्देलखण्ड, मो. 9407286768 बुन्देलखण्ड में आदिकाल भोजन में मोटे अनाजों को शामिल किया जाना अत्यावश्यक रहा है जो हमारे शरीर को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करते हैं इसके साथ ही हमारे यहाँ उत्पादित होने वाले इन अनाजों से हमें आर्थिक समृद्धि भी प्राप्त होगी विदेशी अनाजों पर निर्भरता कम होगी जिससे हम आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकेंगे जंक फूड हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालते हैं जो हमें अस्वस्थता की ओर ले जाते है इसलिए हमारा बुन्देलखण्डी भोजन इन सभी बातों को शामिल करते हुए श्रेष्ठतम है इसमें भी सभी खूबियां भरी पड़ी है जो हमारे स्वास्थ्य को बढ़ाएंगि और रोगों से दूर रखेगी तथा बुन्देलखण्ड को आर्थिक समृद्धि के साथ आगे लाएगी। कुछ बुंदेली व्यंजनों को बनाने की विधि तथा व्यंजनों के नाम संक्षिप्त रूप में निम्नलिखित है-
  1. महेरी या महेर यह मोटे चावल को मट्ठा के साथ साथ हल्का नमक मिलाकर पका कर बनाया जाता है इसे गुड या खांड या शक्कर और दूध के साथ खाया जाता है यह मीठा और स्वादिष्ट भोजन है जो आसानी से पचता और पकता है।
  2. घुंघरू गेहूं ज्वार बाजरा में से किसी एक को रात भर पानी में भिगोकर सुबह पानी में से निकाल कर दूध में उबाला जाता है और पकने पर गुड शक्कर या खांड के साथ खाया जाता है जो स्वाद युक्त होने के साथ-साथ सुपाच्य और स्वास्थ्यवर्धक होता है।
  3. खडई चने की दाल के बेसन को जीरे हिंग प्याज में चौक कर भूना जाता है पकाने के बाद पानी में मिलाया जाता है और गाढ़ा होने तक भूना जाता है फिर इसे थाली में निकाल कर जमा दिया जाता है पीस काटकर दही में डालकर रायता बनाया जाता है इसे टमाटर प्यूरी में डालकर साग भी बनाया जा सकता है।
  4. दर भजिए – दर भजिया चेना मूंग की दाल को पालक, मूली पत्ता, या लाल भाजी के साथ बनाई जाने वाली साग है जो ज्वार बाजरा या बिर्रा की रोटी के साथ खाई जाती है।
  5. ओरिया बरी या उरगटी आँवले के सूखे हुए टुकड़ों को उरगटी कहते हैं इसके पाउडर के साथ बेसन मिलाकर कढ़ी बनाई जाती है जिसमें मूंग और उड़द की बड़ी भूनकर डालकर स्वादिष्ट कढ़ी बनाई जाती है जिसमें माठ्ठा नहीं होता यह भी ज्वार बाजरा या वीर्य की रोटी के साथ बुन्देलखण्ड में अत्यधिक मात्रा में खाई जाती है।
  6. मेथी दाना एक स्वादिष्ट व स्वास्थ्य प्रदान करने वाली अच्छी सब्जी है यह रात भर मेथी को पानी में भिगाकर सुबह कच्ची आम के टुकड़े या आँवले के टुकड़ों के साथ पकाई जाती है इसमें गुड या शक्कर का उपयोग होता है यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है घुटनों के दर्द वात पित्त में भी लाभकारी होती है।
  7. दारुरा मोटी पूडी को सेक कर उन्हें बारीक टुकड़ों में तोड़कर हाथों से मिलकर या मिक्सी में पीसकर सौंठ, इलायची, काली मिर्च, सौंफ, गुड़ या शक्कर या खांड के शीरे में पकाया जाता है अति स्वादिष्ट होता है।
  8. लपसी गेहूं के आटे में देसी घी मिलाकर भूंनकर पानी और गुड़ या शक्कर के पानी के साथ घोल बनाकर उबालकर पकाया जाता है।
  9. बिर्रा रोटी गेहूं ज्वार बाजरा कुछ चने के साथ मिलकर हल्का मोटा आटा बनाया जाता है इसमें नमक जीरा मिलाकर रोटी और पराठे बनाए जाते हैं जिन्हें दाल, दरभजिया, कडी या गुड के साथ खाया जाता है।
  10. चीला मूंग की पीसी दाल के नमकीन चिला या आटे और गुड़ के घोल के साथ मीठे चीले जिसमें अदरक साथ काली मिर्च मिली होती है अति स्वादिष्ट होते हैं जो खीर या लपसी के साथ या राबड़ी के साथ अत्यंत स्वादिष्ट लगते हैं।
  11. थडूला मुंग या उड़द को दरने के बाद जो टूटी हुई दाल व छिलके होते हैं उसे रातभर पानी में भिगोकर रखा जाता है उसे ज्वार, बाजरा, गेंहू, के आटे में मिलाकर पूडियाँ बनाई जाती है जो कैथा, आम की चटनी के साथ स्वादिष्ट लगती है।
  12. गुलगुले आटे और गुड़ का घोल जिसमें सौंफ, काली मिर्च, सौंठ मिली होती है। इसके पकोड़े गुलगुले कहलाती है। जो अक्सर जन्मदिवस या देवी पूजन के समय प्रसाद हेतु बनाए जाते हैं।
  13. बेसन का थेपा बेसन को नमक काली मिर्च सौंफ जीरा मिलाकर भूना जाता है फिर पानी डालकर हलवा जैसा गढा किया जाता है थाली में जमा कर हाथों से थेपा जाता है टुकड़ों में काटकर दही चटनी अचार के साथ खाया जाता है।
  14. बरा बुन्देलखण्ड का विशेष व्यंजन है जिसे उड़द दाल को रात भर पानी में भिगोकर सुबह पीसकर उसके अंदर अदरक, मिर्च, धनिया, जीरा , मिलाकर पीसा जाता है उसकी पकौड़ी बनाकर या कपड़े के ऊपर गोल रोटी बनाकर मध्य में उंगली से छेद कर पूरी जैसा ताला जाता है फिर उसे दही के मट्ठे में या राई नमक के पानी में डाला जाता है जो अत्यंत स्वादिष्ट और पेट के लिए हितकारी होती है।
  15. फरा आटे की रोटियां पानी में उबालकर पकाई जाती है और इसे देसी घी बूरा के साथ खाया जाता है यह पेट की जलन को दूर करता है और छालों में आराम देता है पेट को साफ करता है अत्यंत हितकारी है।
  16. आम पन्ना आम को उबालकर गुदे को निकाल कर ज्यादा पानी में घोलकर गुड, काली मिर्च, नमक डालकर बनाया जाता है जो शरीर को ठंडक प्रदान करता है और गर्मियों में हितकारी होता है और पाचक होता है।
  17. ज्वार, बाजरा, मक्का आटे के लड्डू बुन्देलखण्ड की विशिष्ट व्यंजनों में शामिल है जो संक्रांति के अवसर पर घर-घर बनाए जाते हैं इनके आटो को देशी घी के साथ भूनकर पीसकर गुण या शक्कर के साथ बांधा जाता है और लड्डू बनाए जाते हैं।
  18. तिल, मूंगफली व खजूर के लड्डू – इसके लड्डू आँतों, मांसपेशियों व हड्डियों के लिए बलकारक हैं। इनके सेवन से धातु, हृदय एवं मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है तथा रक्त, वीर्य, कांति व स्मृतिशक्ति की वृद्धि होती है। सामग्री – तिल (250 ग्राम), मूंगफली (250 ग्राम), गेहूँ का आटा (100 ग्राम), खजूर (500 ग्राम), घी (60 ग्राम)। विधि – मूँगफली के दानों और तिल को एक-एक करके सेंक लें। छिलके निकाल के इन दानों व तिल को अलग-अलग दरदरा पीसकर मिश्रण बना लें। खजूर को धोकर व कपड़े से पोंछ के गुठली निकाल के पीस लें। कड़ाही में धीमी आँच पर आटा सेंकें और बाद में घी मिला दें। इसमें पिसे खजूर व उक्त मिश्रण डाल के कलछी से मिला लें। फिर इलायची, किशमिश, काजू, बादाम, अखरोट आदि मिला सकते हैं। अब 50-50 ग्राम के लड्डू बना के रख लें। सेवन मात्रा- 10 ग्राम सुबह खाली पेट।
  19. मकई का उपमा – यह स्वादिष्ट उपमा मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, मैंगनीज, विटामिन ‘डी’ आदि पोषक तत्वों तथा रेशों से युक्त है। इसके सेवन से शरीर ऊर्जावान होता है। विधि- मकई का 100 ग्राम हल्का-सा मोटा आटा 1-1.5 घंटे तक 100 मि.ली. पानी में भिगो दें। फिर 500 मि.ली. गर्म पानी में यह मिश्रण भिगोये हुए मूँगफली के दाने तथा कद्दूकश की हुई गाजर व चुकंदर कलछी से हिलाते हुए पानी सूखने तक पकायें। पकने पर चूल्हे से उतारकर इसमें कटा हरा धनिया, हरी मिर्च, टमाटर, सोंठ, कद्दूकश किया हुआ नारियल, स्वादानुसार नमक एवं लाल मिर्च डाल के मिला लें। इसे भोजन के साथ सेवन कर सकते हैं।
  20. गाकर बाटी भरता, यह भी बुन्देलखण्ड का विशिष्ट और पसंदीदा व्यंजन है जो अक्सर पिकनिक जाने पर वहीं पर बनाया जाता है इसमें आटे की गोलियों को जिसमें नमक जीरा और खाने का सोडा डाला जाता है गोलियां बनाकर चपटाकर कंडो पर सेका जाता है जिसे पंचमेल दाल और भट्टे के भरते के साथ खाया जाता है। इन्हीं बाटियों को पीसकर गुण या शक्कर मिलाकर इलायची डालकर स्वादिष्ट लड्डू भी बनाए जाते हैं यह भारी खाना होता है स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है।
  21. बूंदी, खीर, बर्फी, घेवर, चूरमा, रबड़ी, रेबड़ी, जलेबी, आम रस, कलाकंद, रसगुल्ला, रसमलाई, मावा बर्फी, पूरण पोरी, मगज पाक, मोहन भोग, मोहन थाल, खजूर पाक, मीठी लस्सी, गोल पापड़ी, बेसन लडुआ, शक्कर पारा, मक्खन बड़ा, काजू कतरी, सोहन हलवा, दूध का शर्बत, गुलाब जामुन, गोंद के लडडू, नारियल बर्फी, तिलगुड़ लडडू, गाजर का हलवा इत्यादि।