सुरेश कुमार वर्मा
September 21, 2024हर प्रसाद शर्मा
September 21, 2024जन्म – 21 मार्च 1939 ई.
जन्म स्थान – ग्राम मलगवां, टीकमगढ़, (म.प्र.)
जीवन परिचय –
पता – प्रसाद कॉलोनी, शहीद स्टेडियम के पास टीकमगढ़ (म.प्र.)- 472001
निधन – 12.9.2020
शिक्षा – एम.ए. (हिन्दी साहित्य) डी.पी. एड. बी.एड. पी-एच.डी.
व्यवसाय – से.नि. वरिष्ठ व्याख्याता, संस्थान कुण्डेश्वर टीकमगढ़, पूर्व प्राचार्य संतरामदास महाविद्यालय टीकमगढ़ (म.प्र.)
प्रकाशन –
- कविता संग्रह- जवाहर लाल विलखता है। 2002
- अज्ञात कवि लाला परमानन्द प्रधान-जीवन और साहित्य
- सम्पादन- प्रमोद रामायण
उपन्यास – अभिशाप 2019 , बदला
स्वातंत्र्योत्तर साहित्य में समाज में शहीदों के रक्त-तर्पण से बहुत परिवर्तन हुये। यह देश समाज और व्यक्ति के मानस में राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के बीज का वपन जैसा कार्य हुआ। अन्तर्जातीय विवाह, जाति-पाँति के दुरुह चक्र को भेद युवा वर्ग सन्नद्ध हो देश सेवा में लग गया। डॉ. डी.पी. खरे के उपन्यास “अभिशाप” में ऐसे ही चारु चरित्रों का उल्लेख है। • यह एक सामाजिक उपन्यास है। • इसका नायक प्रभात और नायिका संध्या हैं • अन्य पात्र – दुर्गा (रजनी का पिता) • अपर्णा (प्रभात की ममेरी बहिन) • शशि (अपर्णा की बहिन) • कृष्ण गोपाल (प्रभात का मित्र) • मालती, सरिता आदि हैं। जो कथानक के बुनियाद में सहयोगी हैं।
कथावस्तु- डॉ. डी.पी. खरे के लिखे उपन्यास में राष्ट्रनिर्माण में आहुति देने वाले युवा वर्ग हैं जो स्वतंत्रता के सुप्रभात में समाजोत्थान, जाति वर्ग विभेद के मिटाने और अन्तर्जातीय विवाह सम्बन्धों को जोड़ कर राष्ट्रोत्थान में अहिर्निश संघर्षरत हैं। प्रभात वास्तव में समाज को नवीन सूर्योदय के प्रकाश अर्थात् फौजी बन इस प्राण-पण में लग जाता है। सन्ध्या प्रभात की अरुणिम सन्ध्या बेला बने उसको साथ देती है। प्रभात का शौर्य उसे अंतिम शहादत प्रदान करता है। वह अमर हो जाता है। इस उपन्यास की भाषा हिन्दी / बुन्देली है। जो बौद्धिक समाज को पढ़ने के लिये उत्प्रेरित करती हैं। सम्वाद और भाव कथानकानुरूप व पात्रानुरूप हैं।