जीवन परिचय –
कर्म स्थान – ओरछा (म.प्र.)
स्थाई पता – 66 गुलिस्ता कालोनी, लखनऊ, उ.प्र.
पिता – अश्विनी कुमार पाण्डे जो शिक्षक थे औ रामपुर नवाब के दीवान रहे। इसके बाद आप परिवार सहित ओरछा स्टेट में आकर महत्वपूर्ण पद पर रहे। इस प्रकार ‘शिवानी’ के जीवन पर इन स्थानों का प्रभाव पड़ा जो बाद में उनके उपन्यास व कथा साहित्य में परिलक्षित हुआ।
शिक्षा – स्नातक डिग्री शांति निकेतन 1943
पति – सुखदेव पंत
परिवार – बेटी मृणाल पांडे, इरा पांडे, वीणा जोशी बेटा- मुकेश पंत
उपन्यास – आपने लगभग 40 उपन्यास लिखे। प्रमुख हैं- अतिथि – 1991 , श्मशान चंपा 1997 , चल खुसरो घर आपने-1998 , एक थी रामरती , सुरंगमा , भैरवी , रति विलाप , चौदह फेरे , पूतों वाली , कालिंदी , मायापुरी , लाल हवेली (प्रथम उपन्यास)
अन्य कहानियाँ – नटखट (12 वर्ष की आयु में) , मैं मुर्गा हूँ 1951 , विष कन्या + शिवानी की श्रेष्ठ कहानियां साक्षात्कार- अपराधिनी (महिला साक्षात्कार)
यात्रा कथा – यात्रिकी लंदन यात्रा चरैवैति- रूस यात्रा
आत्म कथा –
- संस्मरण- स्मृति कलश, सोने दे
शिवानी के उपन्यासों का परिचय
- लाल हवेली- प्रथम उपन्यास है।
अतिथि उपन्यास- सन् 1991 में प्रकाशित कृति है। जिसके मुख्य पात्र जया और शेखर हैं। इसमें सामाजिक ताना बाना से बुनी कथा है।
पूतों वाली- यह उपन्यास और तीन लघु कहानियों का संग्रह है।
झरोखा- यह 1991 में प्रकाशित कृति है।
चल खुसरो घर आपने – उपन्यास प्रकाशित 1998 ई.
वातायन- 1999 में प्रकाशित
एक थी रामरती- प्रकाशित 1998 जो बुन्देलखण्ड से सम्बंधित लगती है।
मेरा भाई- 1997 संस्मरणात्मक उपन्यासिका
सुरंगमा – राजनीतिक विवर्तों और सम्बन्धों वाला उपन्यास है।
मायापुरी- जीवन के सम्बन्धों का खुलासा करता उपन्यास
उप्रेती- लघु उपन्यास
शिवानी को पद्मश्री सम्मान 1982 में मिला।
निधन- 21.3.2003 में 79 की आयु में नई दिल्ली में हुआ।
इस प्रकार शिवानी के उपन्यासों में मानवीय संचेतना के भावों के चित्रण, कमजोर जीवन के संत्रासों से दुखी पात्रों की दशा को उकेरा गया है। रामरती उपन्यास में ओरछा (बुन्देलखण्ड) का आभास होता है।