मध्यप्रदेश का जबलपुर नगर जब राजधानी नहीं बन पाया तो संस्कारधानी कहलाने लगा। मूलतः यह बुन्देलखण्ड के गोंडवाने अंचल का प्रमुख शहर है जो राजनीतिज्ञों में महाकौशल क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। यह देश के उन शहरों में से एक है जहाँ जैनियों की संख्या आनुपातिक दृष्टि से सर्वाधिक है। नर्मदा नदी का संगमरमरी भेड़ाघाट यहाँ प्रसिद्ध है।
इतिहास
10वीं-11वीं शताब्दी में कलचुरिवंशीय राजा यहाँ राज करते थे जिनकी प्रसिद्ध राजधानी त्रिपुरी, तत्कालीन चेदि देश की पौराणिक नगरी थी जो अब जबलपुर के पश्चिम में 9 किलोमीटर दूर तेवर नाम के छोटे से गाँव के रूप में विद्यमान है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ के द्वारा बसाये गये 52 जनपदों में एक चेदि नाम का जनपद यही जबलपुर का क्षेत्र है। यही चेदि जनपद बाद में बुन्देलखण्ड के नाम से जाना गया।
जैन क्षेत्र
वर्तमान में जबलपुर में जैन मंदिरों की संख्या लगभग चालीस है जिनमें हनुमानताल स्थित बड़ा मंदिर और फव्वारे चौक पर स्थित विशाल जिनालय प्राचीन और अत्यन्त भव्य हैं जिनमें अनेक प्राचीन और सिद्ध मूर्तियाँ दर्शनीय हैं।
पिसनहारी मढ़िया
शहर से नागपुर रोड़ पर (भेड़ाघाट जाते हुये) मेडिकल कॉलेज के पास एक पहाड़ी पर सवा पाँच सौ वर्ष प्राचीन जैन मंदिर अब अतिशय क्षेत्र के रूप में ख्यात है जिसे पिसनहारी की मढ़िया तीर्थ नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि गौंड राजा के यहाँ एक जैन धर्मावलम्बी पेशवा थे उन्होंने नित्य दर्शन के लिये पहाड़ी पर एक जिनालय बनवाया था जो पेशवा की मढ़िया से बिगड़ते-बिगड़ते पिसनहारी की मढ़िया कहलाने लगा। परन्तु इससे ज्यादा प्रचलन और विश्वसनीयता लोगों के इस कथन में है कि एक धर्म प्राण गरीव जैन महिला ने अनाज पीस पीस कर कमाये श्रम के धन से अपना संकल्प पूरा कर यह मंदिरनुमा मढ़िया बनवाई थी जिससे यह ‘पिसनहारी की मढ़िया’ जैन क्षेत्र कहलाता है। हालांकि लोग उस व्रतधारी महिला के नाम से परिचित आज भी नहीं है। मूल मढ़िया मंदिर में दो मूर्तियाँ सन् 1491 और 1530 की हैं जिन पर प्रतिष्ठा संवत् 1548 और 1530 अंकित है। शेष मूर्तियाँ संवत् 2483, 2484 एवं वीर संवत् 2056 से 2473 की हैं। तीर्थ पर सीढ़ियाँ और धर्मशालाएँ बाद में बनीं हैं। अब तो भव्य नंदीश्वर द्वीप और अन्य आकर्षक निर्माण यहाँ हो चुके हैं।
पहाड़ी पर आधुनिकतम सुविधायुक्त ‘हट्स’ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। वर्तमान में पहाड़ी पर 12 जैन मंदिर और 24 टोंकों की चौबीसी दर्शनीय है। नीचे भी महावीर मंदिर (प्रतिष्ठा वर्ष संवत् 2484) अत्यन्त भव्य हैं। संगमरमर का भव्य मान-स्तम्भ है। यहाँ इन दिनों अनेक बड़ी-बड़ी आधुनिक सुविधायुक्त धर्मशालाएँ व्यवस्थित हैं। जैन समाज का तीर्थ, पर्यटन स्थल और जबलपुर वासियों का एक आध्यात्मिक ‘पिकनिक स्पॉट’ है यह क्षेत्र। अनेक भव्य आयोजन यहाँ प्रायः आयोजित होते रहते हैं। जैन छात्रों को प्रशासनिक सेवाओं के लिये तैयार करने हेतु यहाँ एक विद्यासागर प्रशिक्षण संस्थान भी कार्यरत है जिसका छात्रावास भी सर्व सुविधायुक्त है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।