उपन्यास – ढाक के तीन पात , यह एक व्यंग्यात्मक उपन्यास है। जिसमें सामाजिक और सांस्कृतिक विरुपताओं का चित्रण किया गया है। भाषा सरल हिन्दी है। पात्र स्थानीय हैं। सम्वाद पात्रानुसार हैं। ‘ढाक के तीन पात’ उपन्यास क्षेत्रीय कहावत पर आधारित है। इसका प्रकाशन सन् 2015 ई. में हुआ। इसके विषय में बिन्दुवार जानकारी इस प्रकार है-
यह एक व्यंग्य-प्रधान उपन्यास है।
इसकी कथावस्तु शासन प्रणाली की चरमराती व्यवस्था पर कटाक्ष है।
गूगल गाँव में चल रहे शौचालय निर्माण की योजना और जिला प्रशासन के रात्रि विश्राम में उत्पन्न समस्या के यथार्थ का चित्रण है। उपन्यास की कथावस्तु को अपराधी से दनादन बाबा बने जटाधारी के चरित्र का वर्णन आगे बढ़ाता है। जो अपने जीवन भर सभी की लातें खा कर आज आशीर्वाद स्वरूप लात मार के लोगों की समस्यायें दूर करते हैं। इसमें गाँव से लेकर जिला प्रशासक सभी अपने स्वार्थ पूर्ति में बाबा से लात खाते हैं। इन्हें गाँव की शौचालय जैसी योजना का स्वयं अपने रात्रि विश्राम में सामना करना पड़ता है। जिसका हल गेस्ट हाउस में हो जाता है। किन्तु योजना तो फाइलों में ही बंद रह जाती है। जो आज भी प्रासंगिक है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।