डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय
September 23, 2024बाबू लाल द्विवेदी
September 23, 2024जन्म – 27 फ़रवरी 1970 ई.
जन्म स्थान – चिरगांव, झाँसी (उ.प्र.)
जीवन परिचय –
पिता – देवेन्द्र जैन, पूर्व न्यायाधीश
उपन्यास – ढाक के तीन पात , यह एक व्यंग्यात्मक उपन्यास है। जिसमें सामाजिक और सांस्कृतिक विरुपताओं का चित्रण किया गया है। भाषा सरल हिन्दी है। पात्र स्थानीय हैं। सम्वाद पात्रानुसार हैं। ‘ढाक के तीन पात’ उपन्यास क्षेत्रीय कहावत पर आधारित है। इसका प्रकाशन सन् 2015 ई. में हुआ। इसके विषय में बिन्दुवार जानकारी इस प्रकार है-
- यह एक व्यंग्य-प्रधान उपन्यास है।
- इसकी कथावस्तु शासन प्रणाली की चरमराती व्यवस्था पर कटाक्ष है।
गूगल गाँव में चल रहे शौचालय निर्माण की योजना और जिला प्रशासन के रात्रि विश्राम में उत्पन्न समस्या के यथार्थ का चित्रण है। उपन्यास की कथावस्तु को अपराधी से दनादन बाबा बने जटाधारी के चरित्र का वर्णन आगे बढ़ाता है। जो अपने जीवन भर सभी की लातें खा कर आज आशीर्वाद स्वरूप लात मार के लोगों की समस्यायें दूर करते हैं। इसमें गाँव से लेकर जिला प्रशासक सभी अपने स्वार्थ पूर्ति में बाबा से लात खाते हैं। इन्हें गाँव की शौचालय जैसी योजना का स्वयं अपने रात्रि विश्राम में सामना करना पड़ता है। जिसका हल गेस्ट हाउस में हो जाता है। किन्तु योजना तो फाइलों में ही बंद रह जाती है। जो आज भी प्रासंगिक है।