महोबा के निकट रहिलिया (राहिल्यनगर) में सूर्यमन्दिर एवं सूरजकुण्ड है। यह महोबा छतरपुर बाई पास रोड से 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। चंदेल शासक राहिलदेववर्मन ने इसका निर्माण ग्रेनाइट पत्थर से पंचायतन शैली में कराया था। इसके गर्भ गृह में सूर्य की स्थानक प्रतिमा तथा उपमंदिरों में शिव, गणेश, शक्ति एवं विष्णु (पंचदेवों) की प्रतिमायें प्रतिष्ठित थी। यह मन्दिर भव्य एवं कलात्मक बना था। अब इसका आंशिक भाग खण्डित हो गया है। छंद योजना की दृष्टि से गर्भ गृह अंतराल तथा अर्द्धमण्डप था। मुस्लिमकाल में इसकी प्रतिमा खण्डित कर दी गई। शिरोभाग एवं मूर्ति स्थानीय सर्वेकोठी में संरक्षित है। मंन्दिर के बाहर 50×50×50 फुट आकार का सूर्यकुण्ड है। इसके निकट अनेक खण्डित प्रतिमायें, अलंकृत आमलक चक्र तथा द्वार पट्टिकायें पड़ी हुई हैं।
महोबा से सूर्य की एक सुन्दर स्थानक प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जो राज्य संग्रहालय लखनऊ में संग्रहीत है (सं.सं. 87.1137)। मध्यकालीन कला की इस अनूठी कृति में सूर्य पॉंच घोड़ों वाले रथ पर खड़े हैं कंधे तक उठे हुए दोंनों हाथों में सनाल पुष्प पकड़े, सिर पर अलंकृत मुकुट, कुण्डल, हार, करधनी, कंगन, पैरों में ऊँचे उपानह एवं अधोवत्र पहने हैं। सूर्य के पैरों के बीच दाहिना हाथ अभय तथा बॉंधे हाथ में घट लिये पूर्ण अलंकरणों से युक्त छोटी सी आकृति में महाश्वेता अंकित की गई है। रथ पर सूर्य के सारथी अरुण को दर्शाया गया है। मूर्ति के दाँयी ओर पिंगल तथा बायीं ओर दण्ड दर्शाये गये हैं। पैरों के पास हाथ जोड़े उपासक एवं उपासिका हैं मूर्ति के पीछे अलंकृत प्रभामण्डल है।
आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे।
बुन्देली धरती के सपूत डॉ वीरेन्द्र कुमार निर्झर जी मूलतः महोबा के निवासी हैं। आपने बुन्देली कहावतों का भाषा वैज्ञानिक एवं समाजशास्त्रीय अनुशीलन कर मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर मप्र में विभागाध्यक्ष के रुप में पदस्थ रहे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद मालवा प्रांत, हिन्दी मंच,मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला बुरहानपुर इकाई जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष रहे। आपके नवगीत संग्रह -ओठों पर लगे पहले, सपने हाशियों पर,विप्लव के पल -काव्यसंग्रह, संघर्षों की धूप,ठमक रही चौपाल -दोहा संग्रह, वार्ता के वातायन वार्ता संकलन सहित अनेक पुस्तकों का सम्पादन कार्य किया है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानी, कविता,रूपक, वार्ताएं प्रसारित हुई। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख प्रकाशित हैं। अनेक मंचों से, संस्थाओं से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया है। वर्तमान में डॉ जाकिर हुसैन ग्रुप आफ इंस्टीट्यूट बुरहानपुर में निदेशक के रूप में सेवायें दे रहे हैं।
डॉ. उषा मिश्र
सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन।
नाम – डा. उषा मिश्रा पिता – डा.आर.सी अवस्थी पति – स्व. अशोक मिश्रा वर्तमान / स्थाई पता – 21, कैंट, कैंट पोस्ट ऑफिस के सामने, माल रोड, सागर, मध्य प्रदेश मो.न. – 9827368244 ई मेल – usha.mishra.1953@gmail.com व्यवसाय – सेवा निवृत वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी ( केमिस्ट्री और टॉक्सिकोलॉजी ) गृह विभाग, मध्यप्रदेश शासन। शैक्षणिक योग्यता – एम. एससी , पीएच. डी. शासकीय सेवा में रहते हुए राष्ट्रीय – अंतराष्ट्रीय कान्फ्रेंस में शोध पत्र की प्रस्तुति , मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर, गृह विभाग द्वारा आयोजित वर्क शॉप, सेमिनार और गोष्ठीयों में सार्थक उपस्थिति , पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज सागर में आई. पी. एस., डी. एस. पी. एवं अन्य प्रशिक्षणु को विषय सम्बन्धी व्याख्यान दिए।
सेवा निवृति उपरांत कविता एवं लेखन कार्य में उन्मुख, जो कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। भारतीय शिक्षा मंडल महाकौशल प्रान्त से जुड़कर यथा संभव सामजिक चेतना जागरण कार्य हेतु प्रयास रत।